324 बच्चों को पढ़ाने के लिए महज 4 शिक्षक
मोहनपुर प्रखंड से 22 किलोमीटर दूर मोहाने नदी के तट पर 1951 में स्थापित राजकीय मध्य विद्यालय लाड़ में सुविधाओं का घोर अभाव है।
अमित कुमार सिंह, बाराचट्टी
मोहनपुर प्रखंड से 22 किलोमीटर दूर मोहाने नदी के तट पर 1951 से स्थापित का राजकीय मध्य विद्यालय लाडू में शिक्षकों के अभाव के कारण पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है। यहा संस्कृत और खेल के शिक्षक नहीं हैं। गर्मी हो या सर्दी स्कूल में पहली और दूसरी कक्षाओं के बच्चों को दरी पर बैठकर पढ़ना पड़ता है। पास में नदी, सिरकी की झाड़ी होने के बावजूद स्कूल की चहारदीवारी नहीं की गई है। इसके कारण बच्चे और शिक्षक ही नहीं, अभिभावक भी काफी चिंतित रहते हैं। स्कूल प्रागण में जानवर घूमते रहते हैं। यहां 324 बच्चों के लिए प्रधानाध्यापक सहित महज चार शिक्षक नियुक्त हैं।
2 एकड़ 39 डिस्मिल जमीन पर स्थित विद्यालय के चारों ओर रेत ही रेत है, जिस कारण बच्चों को काफी परेशानी होती है। पेयजल की भी समुचित व्यवस्था नहीं है। हालांकि, कक्षाएं चलाने के लिए कमरे का अभाव नहीं है। इतना ही नहीं, भूमि, भवन और क्षेत्र की आबादी को देखते हुए इस विद्यालय को उच्च करने की जरूरत है।
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शिक्षक नहीं होने से संस्कृत की पढ़ाई नहीं हो रही है। खेल मैदान नहीं होने के कारण हमलोग लूडो और गोला खेल खुद से खेलते हैं। स्कूल परिसर में बालू पर ही प्रार्थना करते हैं। विशेषकर बरसात में ज्यादा परेशानी होती है।
-निषी कुमारी, कक्षा 8
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खेल के शिक्षक नहीं होने से बच्चे अपनी प्रतिभा प्रदर्शित नहीं कर पाते हैं। हमलोग खुद ही सहेलियों के साथ खेलते हैं। बरसात में स्कूल के सामने से रास्ते के ऊपर से नाला बहता है, जिससे हादसों की आशंका रहती है।
-सुरुचि कुमारी, कक्षा 8
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एक चापाकल होने से पानी पीने में परेशानी होती है। खासकर मध्याह्न भोजन के बाद। एक और चापाकल है लेकिन बिगड़ा हुआ है। संस्कृत विषय की तो पढ़ाई ही नहीं होती।
-वर्षा कुमारी, कक्षा 7
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शैक्षणिक परिभ्रमण पर गए थे तो काफी अच्छा लगा। राजगीर और बोधगया अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल की जानकारी मिली। स्कूल में बिजली की व्यवस्था नहीं होने से गर्मी में परेशानी होती है।
-मनजीत कुमार, कक्षा 8
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शिक्षक की कमी के कारण दो-दो कक्षाएं एक साथ लगती हैं। रोस्टर के अनुसार पढ़ाई नहीं कराई जाती है, क्योंकि शिक्षकों का अभाव है। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहित।
नित्यानंद कुमार, कक्षा 8
------------- पैसे के अभाव में विद्यालय भवन का रंगरोगन नहीं कराया गया है। शिक्षकों की कमी के बारे में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को कई बार लिखे पर कोई फायदा नहीं हुआ है। शिक्षक नहीं होने के कारण संस्कृत विषय की पढ़ाई नहीं हो रही है। विद्यालय विकास राशि दो वर्ष से नहीं मिली है। इसके कारण स्कूल के कई कार्य नहीं कराए जा सके हैं। चहारदीवारी निर्माण के लिए बीडीओ और बीईओ को पत्र लिखे पर कुछ नहीं हुआ। स्कूल प्रागण में बालू है, क्योंकि पास से मोहाने नदी निकली है। मिट्टी भराई का कोई फंड हमलोगों के पास नहीं है। इसके कारण रेत ही रेत है। रसोईया थाली साफ नहीं करते, जिस कारण बच्चों को ही यह काम खुद करना पड़ता है।
सतीष कुमार सिन्हा, प्रधानाध्यपक,
राजकीय मध्य विद्यालय लाडू, प्रखंड मोहनपुर