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भभुआ में आमलोगों के लिए खतरनाक साबित हो रहे बिना चहारदीवारी के तालाब, पांच माह में 26 लोग डूबे

कैमूर जिले में जल संरक्षण की दिशा में प्रशासन कार्य कर रहा है। प्रशासन तालाबों के अतिक्रमण को हटाने के साथ जीर्णोद्धार व मरम्मत का कार्य कराया जा रहा है। लेकिन फिलहाल जिले में यह कार्य काफी सुस्त गति से चल रहा है।

By Prashant KumarEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 04:35 PM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 04:35 PM (IST)
भभुआ में आमलोगों के लिए खतरनाक साबित हो रहे बिना चहारदीवारी के तालाब, पांच माह में 26 लोग डूबे
भभुआ में बिना चहारदीवारी का तालाब बना खतरनाक। जागरण।

भभुआ, जेएनएन। कैमूर जिले में जल संरक्षण की दिशा में प्रशासन कार्य कर रहा है। प्रशासन तालाबों के अतिक्रमण को हटाने के साथ जीर्णोद्धार व मरम्मत का कार्य कराया जा रहा है। लेकिन, फिलहाल जिले में यह कार्य काफी सुस्त गति से चल रहा है। पूर्व में जो कार्य हुए भी उसमें तालाबों के चहारदीवारी का निर्माण को प्राथमिकता नहीं दी गई। इसके चलते बिना चहारदीवारी के तालाब आमलोगों के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं। बीते पांच माह में कैमूर जिले में 26 लोगों की मौत विभिन्न जलस्त्रोतों में डूबने से हो गई है। इसमें अधिकांश घटनाएं तालाबों में डूबने से ही हुई है। बिना चहारदीवारी के गहरे तालाबाें में जाना लोगों के लिए खतरे से खाली नहीं।

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यहां डूबे इतने लोग...

जानकारी के अनुसार जुलाई माह में दो लोगों की डूबने से मौत हो गई। इसमें 15 जुलाई को ही रामपुर के अमांव व चैनपुर के नाटी गांव के तालाब में डूबने से दो लोगों की मौत हो गई। अगस्त माह में कुल 11 लोगों की जान विभिन्न जलस्त्रोतों में डूबने से हो गई। 17 अगस्त को सीवों गांव के तालाब में, 18 अगस्त को बहुअन गांव के तालाब में, 22 अगस्त को चांद थाना क्षेत्र के भरूहियां गांव के तालाब में, 28 अगस्त को भगवानपुर के तालाब में डूबने से मौत हो गई। सिंतबर व अक्टूबर माह में तीन-तीन लोगों की मौत डूबने से हुई है। इसमें 14 अक्टूबर को भगवानपुर के तालाब में एक बालक की मौत हो गई थी। जबकि नवंबर में सात लोगों की मौत हुई है। इसमें 19 नवंबर को भगवानपुर थाना क्षेत्र के अरारी गांव के तालाब में, 21 नवंबर को नुआंव के तालाब में और 25 नवंबर को चैनपुर के अमांव गांव के तालाब में डूबने से मौत हुई है। इसके अलावा अन्य डूबने की घटनाएं नदी में हुई है।

प्रशासन नहीं हुआ सजग...

इतनी घटनाएं के होने के बाद भी प्रशासन द्वारा तालाबों की घेराबंदी कराने के लिए चहारदीवारी का निर्माण नहीं करा रहा। ग्रामीण क्षेत्रों में कई तालाब ऐसे हैं जिनमें उतरने के लिए घाट तक नहीं है। ऐसे में कई लोग फिसल कर डूब जाते हैं। यदि उन्हें तैरने आया तो बच गए। यदि नहीं तैरने आया और किसी ने नहीं देखा तो उसकी डूब कर मौत निश्चित है।


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