Kaimur News: खाद की किल्लत से कैमूर के किसान परेशान, रबी फसल की बोआई पर पड़ रहा है असर
जिले में पर्याप्त मात्रा में डीएपी खाद नहीं पहुंचने के वजह से किसान काफी परेशान हैं। रबी फसल की बोआई के लिए खेत की जोताई कर दी गई। खेत तैयार कर खाद के लिए कई जगह चक्कर लगा चुके हैं। लेकिन डीएपी व पोटाश खाद नहीं मिल पा रही है।
रामपुर(कैमूर) संवाद सूत्र। स्थानीय प्रखंड क्षेत्र में रबी फसल की बोआई के समय डीएपी खाद की किल्लत से किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। पिछले कई दिनों से खाद की किल्लत है। खाद नहीं मिलने से 50 फीसद से अधिक किसान अपने खेतों में गेहूं, तिलहन व दलहन फसल की बोआई नहीं कर सके हैं। प्रखंड के अधिकतर किसान अपने खेतों की जोताई कर बोआई के लिए खेत तैयार कर चुके हैं। लेकिन उन्हें खाद नहीं मिल पा रही है। ऐसे में रबी फसल की बोआई प्रभावित हो रही है।
अकोढ़ी गांव के किसान अभय कुमार सिंह ने बताया कि रबी फसल की बोआई के लिए खेत की जोताई कर दी गई। खेत तैयार कर खाद के लिए कई जगह चक्कर लगा चुके हैं। लेकिन डीएपी व पोटाश खाद नहीं मिल पा रही है। खेत से नमी जा रही है। ऐसे में रबी फसल का कैसे उत्पादन होगा। सरकार किसानों को समय पर खाद व बीज उपलब्ध कराए जाने का दावा करती है। लेकिन समय पर न तो बीज मिलता है और ना ही खाद। ऐसे में किसान परेशान हैं। अलीपुर गांव के किसान दिनेश दुबे ने बताया कि तकरीबन डेढ़ एकड़ खेत की जोताई करा कर गेहूं की बोआई के लिए खाद के दुकानदारों के यहां चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन खाद नहीं मिल रही है। सोनवर्षा गांव के किसान बबलू शुक्ला ने बताया कि खाद नहीं मिलने से गेहूं की बोआई प्रभावित हो रही है। इस संबंध में प्रखंड कृषि पदाधिकारी सूर्यकांत प्रसाद ने कहा कि डीएपी खाद का कम आवंटन मिलने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। जितनी मात्रा में खाद उपलब्ध होनी चाहिए उतनी मात्रा में उपलब्ध नहीं हो रही है।
ग्रामीणों के अनुसार डीएपी खाद की किल्लत के बीच प्रखंड में कई ऐसे उर्वरक विक्रेता हैं जो डीएपी मिलावटी खाद की बिक्री कर रहे हैं। कुछ उर्वरक विक्रेताओं ने बताया की असली और नकली खाद की पहचान किसानों के वश की बात नहीं है। उसकी पहचान उर्वरक विक्रेता ही कर सकते हैं। ऐसे में किसान इस तरह के उर्वरक का उपयोग तो करते हैं, लेकिन उनके खेतों से अच्छी उपज नहीं हो पाती है।