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Bihar Panchayat 2nd Phase Chunav 2021: दो दशक बाद कैमूर पहाड़ी पर बूथ बना कराया गया मतदान

Bihar Panchayat 2nd Phase Chunav 2021 नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र होने के चलते पूर्व में नौहट्टा प्रखंड के पीपरडीह पंचायत और रोहतास प्रखंड के रोहतासगढ़ पंचायत के पहाड़ी पर बसे गांव के मतदान केंद्र को मैदानी इलाके में स्थानांतरित कर दिया जाता था।

By Prashant KumarEdited By: Published: Thu, 30 Sep 2021 09:16 AM (IST)Updated: Thu, 30 Sep 2021 09:16 AM (IST)
Bihar Panchayat 2nd Phase Chunav 2021: दो दशक बाद कैमूर पहाड़ी पर बूथ बना कराया गया मतदान
पिपरडीह में बने बूथ पर वोट देने के लिए लाइन में खड़े मतदाता। जागरण।

संवाद सहयोगी, डेहरी ऑनसोन (सासाराम)। कैमूर पहाड़ी पर बसे रोहतास व नौहट्टा प्रखंड के गांवों में दूसरे चरण में बुधवार को मतदान हुआ। 20 वर्षों के अंतराल के बाद यहां मतदान कराया गया। नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र होने के चलते पूर्व में नौहट्टा प्रखंड के पीपरडीह पंचायत और रोहतास प्रखंड के रोहतासगढ़ पंचायत के पहाड़ी पर बसे गांव के मतदान केंद्र को मैदानी इलाके में स्थानांतरित कर दिया जाता था। इस बार पहाड़ी गांव में ही मतदान कराए जाने से लोगों में उत्साह है। इससे मतदान का प्रतिशत भी बढ़ गया।

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ग्रामीणों ने बताया कि मैदानी इलाके में चुनाव कराए जाने पर 30 से 35 फीसद ही मतदान हो पाता था। इस बार 60 फीसद से भी अधिक मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया। जोन्हा गांव के पूर्व मुखिया चंद्रदीप उरांव कहते हैं कि वर्ष 2001 में नक्सलियों के आतंक के बाद भी भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच वास्तविक मतदान केंद्र कोरहास, रेहल, सोली, पीपरडीह, चुनहट्टा में मतदान कराए गए थे। 15 फरवरी 2002 को रेहल में नक्सलियों ने डीएफओ संजय ङ्क्षसह की हत्या कर दी थी। इसके सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने पहाड़ी गांव के सभी मतदान केंद्रों को मैदानी इलाकों में स्थानांतरित कर दिया था।

इस बार नौहटा प्रखंड के पहाड़ी गांव के सभी दस मतदान केंद्रों को कैमूर पहाड़ी पर बसे रेहल गांव में एक ही स्थल पर स्थापित किया है। इसके बाद भी मतदाता दस से 15 किलोमीटर पैदल चलकर उत्साह के साथ मतदान केंद्र पर पहुंचे। पहाड़ी पर ही मतदान केंद्र होने से मतदाताओं में खुशी का माहौल दिखा। 

हसड़ी निवासी सुरेंद्र सिंह खरवार, महावीर सिंह खरवार, बंडा के सुग्रीव सिंह खरवार का कहना है कि पहाड़ी पर ही मतदान केंद्र रहने से लोगों में काफी उत्साह रहा है। मैदानी इलाके में मतदान केंद्र स्थानांतरित हो जाने पर 1580 फीट की ऊंचाई से पैदल उतरकर 20 से 30 किलोमीटर की दूरी पर मतदान करने जाना पड़ता था, इसलिए काफी कम मतदाता पहुंच पाते थे।


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