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Bihar News: उत्‍तराखंड के काला गेहूं से बिहार के गया में आई हरियाली, जाने इसकी खासियत

मनुष्य को स्वथ्य रहने के लिए गेहूं के आटे की बनी रोटी खाने का सुझाव चिकित्सकों द्वारा दिया जाता। अगर काला गेहूं (Black wheat) का लगातार सेवन करें तो शरीर में पौष्टिक तत्वों की कमी कभी नहीं होगी। यानि शरीर आपका विल्कुल स्वस्थय रहेगा।

By Prashant KumarEdited By: Published: Sat, 06 Mar 2021 07:11 AM (IST)Updated: Sun, 07 Mar 2021 09:42 AM (IST)
Bihar News: उत्‍तराखंड के काला गेहूं से बिहार के गया में आई हरियाली, जाने इसकी खासियत
मानपुर के खेत में काला गेहूं और किसान। जागरण।

जागरण संवाददाता, मानपुर (गया)। मनुष्य को स्वथ्य रहने के लिए गेहूं के आटे की बनी रोटी खाने का सुझाव चिकित्सकों द्वारा दिया जाता। अगर काला गेहूं (Black wheat) का लगातार सेवन करें तो शरीर में पौष्टिक तत्वों की कमी कभी नहीं होगी। यानि शरीर आपका विल्कुल स्वस्थय रहेगा। जब इस रहस्य की जानकारी गया के किसानों को हुई तो वे उतराखंड से काला गेहूं के बीज मंगाकर अपने खेत में लगाए। मानपुर के भेडिया गांव में एक विगहा भूमि में काला गेहूं का फसल लहलहा रहा है। उस गेहूं को प्रतिदिन कई किसान देखने आते और वे अगले  साल से काला गेहूं की खेती करने की बात कहत।

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कैसी मिली प्रेरणा

भेडि़या गांव के किसान ललन सिंह एवं छोटे लाल सिंह अखबार में काला गेहूं के बारे में पढे़। उसके बाद वे कृषि बैज्ञानिक से जानकारी हासिल किए। जब उसके गुणों की जानकारी हुई तो दोनों किसान काला गेहूं की खेती करने का मन बनाया। इसके लिए उतराखंड से कुरियर के माध्यम काला गेहूं के बीज मंगवाया। एक विगहा भूमि को खूब अच्छी तरह जोताई कर बीज को नवंबर माह में लगाया गया। जरुरत के अनुसार प्रयाप्त मात्रा में खाद दी गई। तीन बार सिंचाई की गई। एक बार और सिंचाई करने की बात किसानों द्वारा बताई जा रही है। फिलहाल किसानों के खेत में काला गेहूं की बाली झूल रही है। वे बाली उस रास्ते से आने जाने वाले लोगों का मनमोह रही है।

क्या कहते हैं वैज्ञानिक

कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह एवं डॉ. देवेन्द्र मंडल का कहना है कि काला गेहूं में प्रचूर मात्रा में पोषक तत्व है। इसमें विटामिन, फोलिक एसिड, सेलेनियम, मैगिनिशीयम, मैगनीज, जिंक, काॅपर, आयरण, पोटाशियम, रेशा एवं पोषक तत्व पाया जाता है। काला गेहूं में 60 प्रतिशत अधिक आयरण पाया जाता है। 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक काला गेहूं लगाई जाती है। काला गेहूं खाने से रोगरोधी क्षमता में वृद्वि होती है। इसकी उपज 12 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।


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