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Seminar in Rohtas: महिलाओं का शिक्षित होना बहुत जरूरी, देश के विकास में निभाएंगी अहम भूमिका

रोहतास के महिला कॉलेज में महिला सशक्‍तीकरण विषयक सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें वक्‍ताओं ने भारतीय महिलाओं की वर्तमान स्थिति से इतिहास को जोड़ते हुए महिलाओं की शिक्षा पर बल दिया। कहा कि महिलाएं शिक्षित होंगी तब ही सशक्‍त होंगी।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 05:43 PM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 05:43 PM (IST)
Seminar in Rohtas: महिलाओं का शिक्षित होना बहुत जरूरी, देश के विकास में निभाएंगी अहम भूमिका
सेमिनार में विचार रखते इतिहास के शिक्षक डॉ.अशोक कुमार सिंह। जागरण

संवाद सहयोगी, डेहरी ऑन सोन (रोहतास)। महिलाओं को सशक्‍त बनाने के लिए व्यवहारिकता को धरातल पर लाना होगा। महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद भी आज तक उसका लंबित रहना राजनीतिक दलों की मंशा पर प्रश्‍न चिह्न खड़ा कर रहा है। महिला कॉलेज सभागार में शुक्रवार को इतिहास विभाग द्वारा 'अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की सार्थकता '  विषय पर आयोजित सेमिनार में पूर्व प्रभारी प्राचार्य डॉ अशोक कुमार सिंह ने उक्त बातें कहीं।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं को पंचायती राज और नगर निकाय समेत विभिन्न नौकरियों में 50 फीसद आरक्षण की व्यवस्था कर महिलाओं को सशक्‍त बनाया है। इसका अनुसरण दूसरे राज्‍य में भी हो रहा है। लेकिन विधानसभा व लोकसभा में अब तक आरक्षण की सुविधा नहीं मिली। यह पुरुष समाज के लिए महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है।

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आदिकाल से सशक्‍त रहीं हमारे देश की महिलाएं
उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में हमारे देश की महिलाएं सशक्‍त थी। आदि काल में शंकराचार्य मंडन मिश्र के साथ शास्त्रार्थ के दौरान उनकी पत्‍नी भारती ने सहयोग किया था। वेद पुराण में भी महिलाओं का सम्मान आज भी इतिहास के पन्नों में अंकित है । डॉ सिंह ने कहा कि मध्यकालीन युग में महिलाओं की स्थिति में तेजी से गिरावट आई । हालांकि उस काल में भी रजिया सुल्तान और नूरजहां जैसे महिलाओं ने शासन का प्रतिनिधित्व किया लेकिन उस काल में उनकी संख्या सीमित थी । उन्होंने कहा कि देश की आजादी के बाद हमारे संविधान में महिलाओं को कई अधिकार दिए गए और कानून भी बनाए गए लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि जितने भी कानून बने उसका समाज में स्थान नहीं मिल पाया। कहा कि महिलाएं शिक्षित होगी तभी समाज ने स्वस्थ नागरिक का विकास संभव हो पाएगा ।

नीति निर्माण में हो भागीदारी
समाजशास्त्र विभाग की सहायक व्याख्याता नीतू रानी ने कहा कि नीति निर्माण से लेकर कार्यान्वयन तक महिलाओ की भागीदारी देने पर बल दिया। इतिहास विभाग के व्यख्याता डॉ दिग्विजय सिंह ने प्राचीन काल से अब तक महिला सशक्तिकरण में महिलाओ की भूमिका पर चर्चा की । कहा कि अंतरष्ट्रीय महिला दिवस की सार्थकता पूरी हो रही है । प्राचार्य डॉ सतीश नारायण लाल ने सेमिनार के वक्ताओं को पौधा देकर सम्मानित किया ।उन्होंने कहा कि सेमिनार के आयोजन से छात्राओ के शिछा व मानसिक विकास में कारगर होगी ।मनोविज्ञान विभाग के डॉ विकास नारायण त्रिवेदी ने सेमिनार का संचालन किया ।मौके पर कालेज के शिछक व छात्राए मौजूद थी ।


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