श्रीलंका में हिंदी की प्रगति और चुनौतियों पर हुई चर्चा, अंतरराष्ट्रीय वेब गोष्ठी में विद्वानों ने रखे विचार
मगध विश्वविद्यालय बोधगया के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संयुक्त तत्त्वावधान में समकालीन कविता का परिवेश और उसके सरोकार विषय पर एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेब गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें कई विद्वानों ने रखे विचार।
बोधगया, जागरण संवाददाता। मगध विश्वविद्यालय बोधगया के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संयुक्त तत्त्वावधान में 'समकालीन कविता का परिवेश और उसके सरोकार' विषय पर एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेब गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संयोजन व समन्वय हिंदी विभाग में सहायक प्राध्यापक डॉ. अजित सिंह ने किया। कार्यक्रम में देश-विदेश से विभिन्न विद्वानों के विचारों का संगम हुआ।
कोलंबो दूतावास से नदीरा ने भी रखे विचार
वरिष्ठ कवि व राजनेता उदय प्रताप सिंह जी ने काव्य पाठ किया और कविता का मर्म समझाया। श्रीलंका के कोलंबो स्थित भारतीय दूतावास हिंदी का अध्यापन कर रही नदीरा सिंवंती ने भी हिंदी की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में वक्ताओं और अतिथियों का स्वागत मगध विश्वविद्यालय के पत्रकारिता और जनसंचार विभाग के प्रभारी डॉ. शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी ने किया। विषय-प्रवेश भारतीय भाषा मंच के संयोजक डॉ. नागेन्द्र कुमार शर्मा ने कराया।
श्रीलंका में हिंदी की प्रगति पर रखे विचार
विशिष्ट वक्ता के रूप में हिन्दी स्नातकोत्तर विभाग, मगध विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार थे। मगध विवि की पूर्व संगीत शोधार्थी डॉ. सुनैना कुमारी ने सुमधुर गजल प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में कोलंबो के भारतीय दूतावास की अध्यापिका डॉ. नादिरा सिवन्ति ने श्रीलंका में हिन्दी भाषा की क्रमशः प्रगति और सम संबंधित चुनौतियों पर चर्चा की। एक स्वरचित हिन्दी कविता की प्रस्तुति भी उन्होंने दी, जिसमें क्षरित होते मानव-सम्बन्धों और उसकी क्षणभंगुरता का भाव समाहित था।
उदय प्रताप की कविताओं ने गुदगुदाया
इस आयोजन के मुख्य अतिथि थे - मैनपुरी में जन्मे प्रसिद्ध कवि उदयप्रताप सिंह। उन्होंने अपनी कई कविताओं को प्रस्तुत कर मौजूद श्रोताओं को मोहित कर किया। उनकी कविताओं ने सभी का मन मोह लिया कविता के विभिन्न रूपों का उन्होंने नैसर्गिक चित्रण किया। उनकी कविताओं का समकालीन परिवेश में विश्लेषण करते हुए कुलपति प्रो. राजेन्द्र प्रसाद ने उनकी कविता शक्ति की प्रशंसा की। साथ ही अपनी नारी-सशक्तिकरण संबंधी कविता का पाठ भी प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में सभी विभागीय सदस्यों के अतिरिक्त विद्यार्थी शोधार्थी और भारत के अन्य विश्वविद्यालयों से प्रतिभागियों ने सहभागिता की और अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी को सफल बनाया।