शिशु में संक्रमण की पहचान जरूरी
गया। प्रसव के बाद नवजात बच्चों की सेहत को लेकर माता-पिता को बहुत अधिक जागरूक रहने की जरूरत होती है।
गया। प्रसव के बाद नवजात बच्चों की सेहत को लेकर माता-पिता को बहुत अधिक जागरूक रहने की जरूरत होती है। शुरूआत के समय में कई तरह की बीमारियों का संक्रमण होने का अंदेशा रहता है। सेप्टोसेमिया व हाइपोथर्मियां ऐसी ही कुछ बीमारी है जिसमें समय से इलाज नहीं होने पर बच्चे की जान भी जा सकती है। उक्त बातें जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. सुरेंद्र चौधरी ने गुरुवार को नव पदस्थापित एएनएम को प्रशिक्षण देने के दौरान कही। सेप्टोसेमिया में बच्चे को गंभीर संक्रमण लग जाता है। इसमें बच्चे को बुखार लगने से लेकर दूसरी तकलीफ हो सकती है। बच्चा दूध नहीं पीता है। हाइपोथर्मियों में मां के गर्भ से निकलने पर बच्चे के शरीर का तापमान घट जाता है। इससे बच्चे को तकलीफ होने लगती है। इसिलिए बच्चे को रेडिएंट वार्मर मशीन में रखना पड़ता है।
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नियमित टीकाकरण को लेकर आयोजित प्रशिक्षण सत्र में डब्ल्यूएचओ के फोकल पर्सन डॉ. अशोक कुमार सिंह ने विस्तार से विभिन्न टीका की जानकारी दी। इनमें बीसीजी, पोलियो, हेपेटाइटिस बी, जेई, रोटा वायरस, पेंटावैलेंट व दूसरे तरह के टीकाकरण के बारे में विस्तार से बताया। 12 बीमारियों से बचाव के लिए बच्चों को 11 तरह का टीका लगाया जाता है। बच्चे के जन्म समय से 2 साल तक में सभी टीके समय अनुसार लगाए जाते हैं। टीकाकरण में एएनएम का बड़ा योगदान माना जाता है। ये गर्भवती को भी टीडी का टीका लगाती हैं। गौरतलब है कि गया टाउन में 8 शहरी पीएचसी में अभी नए एएनएम की नियुक्ति हुई है। उन एएनएम को टीकाकरण के बारें में विस्तार से जानकारी दी गई। इस प्रशिक्षण में नोडल अफसर डॉ. एमई हक, प्रशिक्षक डॉ. ए. हक. यूएनडीपी के रविरंजन कुमार व सभी शहरी पीएचसी की एएनएम उपस्थित थे।