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कैमूर के अधौरा प्रखंड में पांच गांवों को कृषि विज्ञान केंद्र ने लिया गोद, प्रशिक्षण देकर किसान बनाए जाएंगे मॉडल

कैमूर के अधौरा प्रखंड के पांच गांवों को कृषि विज्ञान केंद्र ने गोद लिया है। इन गांवों के किसानों को उन्‍नत खेती का प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्‍हें सशक्‍त बनाया जाएगा। इनमें अधौरा चैनपुरा पीपरा सिकरवार व खामकला गांव शामिल हैं।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 08:00 AM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 08:00 AM (IST)
कैमूर के अधौरा प्रखंड में पांच गांवों को कृषि विज्ञान केंद्र ने लिया गोद, प्रशिक्षण देकर किसान बनाए जाएंगे मॉडल
खेती के बारे में जानकारी देते कृषि विशेषज्ञ। जागरण

संवाद सहयोगी,भभुआ।जिले के कृषि विज्ञान केंद्र ने पहाड़ी प्रखंड अधौरा के पांच गांवों को गोद लिया है। इन गांवों के किसानों को विभिन्न प्रकार की खेती के बारे में तकनीकी विधि से खेती करने का प्रशिक्षण देना है। इसके साथ ही अन्‍य महत्‍वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करा कर उनको सशक्त बनाने की योजना है। अधौरा में ही कृषि विज्ञान केंद्र स्थित है। जहां विभिन्न प्रकार के खेती, पशु पालन में बढ़ावा, फलों की खेती आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है।

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प्रशिक्षण देकर किसानों को बनाया जाएगा मजबूत

कृषि विज्ञान केंद्र ने अधौरा, चैनपुरा, पीपरा, सिकरवार, खामकला को गोद लिया है। यहां के किसानों को जलवायु के हिसाब से खेती करने, नई आधुनिक विधि से खेती करने आदि का प्रशिक्षण देकर खेती कराई जाएगी। यहां के किसानों को पुसा विश्‍वविद्यालय, आइसीआर विश्वविद्यालय, भागलपुर विश्‍वविद्यालय तथा दिल्ली में स्थित कई जगहों का भ्रमण कराया जाएगा।

अन्‍य किसानों के लिए होंगे मॉडल

जिले में ये पांच गांव किसानी के मामले में मॉडल होंगे। उसके बाद वही किसान जिले के अन्य किसानों के लिए मिसाल बन कर अन्य किसानों को जागरूक करने का भी काम करेंगे। कृषि वैज्ञानिक अमित कुमार के मुताबिक पांच गांव के किसानों को खेती, पशुपालन के अलावा अन्य चीजों को बनाने के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। इसके लिए काम शुरू कर दिया गया है। नई तकनीक में मेढ़ पर गेहूं लगाने, मेढ़ पर सरसों की फसल लगाने, मेढ़ पर चना की फसल लगाने, मेढ़ पर मक्का की फसल लगाने, पोटेटो प्लांट से आलू की खेती करने, खरीफ के फसल में धान लगाने, जिरो टिल से गेहूं तथा धान लगाने,  कम पानी वाले क्षेत्रों में उसके हिसाब से फसल लगाने आदि के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। जैली, अचार, सॉस आदि बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। पशुपालक के तौर पर भी एक्सपर्टों के द्वारा उन्‍हें जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।


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