Move to Jagran APP

अभी सब्र कर, घर में ठहर, वहां जिंदगी की दुआ करो

खबरची हाजिर है - मजबूरी में कम मस्ती में ज्यादा तोड़ रहे लॉकडाउन की बंदिशें पुलिस-प्रशासन की सुस्ती के कारण कुछ मोहल्लों और बस्तियों में जमावड़ा खुलेआम

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Apr 2020 10:21 PM (IST)Updated: Sat, 04 Apr 2020 06:09 AM (IST)
अभी सब्र कर, घर में ठहर, वहां जिंदगी की दुआ करो
अभी सब्र कर, घर में ठहर, वहां जिंदगी की दुआ करो

विकाश चन्द्र पाण्डेय, गया

loksabha election banner

एक से दूसरे मोड़ तक कुछ कुत्ते ताबड़तोड़ दौड़ लगाए जा रहे। सूनी सड़कें हैं और वीरान गलियां। पहरेदारी की बड़ी जिम्मेदारी आ गई है। बीच-बीच में मुंह ऊपर उठाकर नथुनों को सिकोड़ लेते हैं, गो कि हवा में हादसे की कोई गंध भांप लिए हों। अचानक एक साथ कुआ-कुआ करते हुए घिघियाने लगते हैं। पहली मंजिल की बॉलकनी से उन्हें झिड़कते हुए निर्मला देवी भुनभुना रही हैं। इन सबसे बेखबर मजबूत पुट्ठे वाला एक सांड़ बीच चौराहे पर कोतवाल की तरह आ डटा है। उसने भी हवा में कोई गंध भांप ली है, जो नथुनों से फों-फों की आवाज निकालने लगा है। कुछ दूरी पर दीन-हीन तीन-चार गायें हैं। विपत्ति की आशंका में वे कोईरीबाड़ी की ओर खिसक गई हैं। कोईरीबाड़ी में कयामत का सन्नाटा है। चैत की दोपहर वैसे भी घरों में ठहरने की हिदायत देती है। यह वक्त तो कुछ ज्यादा ही नाजुक है। आम सहमति वाली अपनी बातों से प्रशांत सिंह सबसे मुखातिब हो जाने वाले आदमी हैं। अपने भले मित्रों के साथ मिलकर एक टोली बनाए हैं, जो मदद की पहली किस्त में गरीबों के बीच चावल-दाल बांट चुकी है। आगे कुछ और मदद के लिए नकदी आदि जुटाई जा रही। इस दौर में कुछ बनावटी गरीब भी हैं, जो ऐसे मददगारों को सूंघते हुए दरवाजे तक पहुंच जा रहे। पंचायती अखाड़ा की गलियां कोई पाबंदी नहीं मानतीं, लिहाजा वहां आमदरफ्त ज्यादा है। कांख में मजबूत झोले दबाए फिरोजा और नूरजहां तीसरी बार इस ठांव पहुंची हैं। साथ में यासमीन पेट से हैं। छह बेटियां पैदा कर चुकी हैं और इस बार बेटे की उम्मीद पाले हैं। तीनों भूख का हवाला दे रहीं। हकीकत भांप कुछ युवक उन्हें हुलका रहे। उस पार अपने रिक्शे पर बैठे अनवर हुसैन मुंह में एक मुट्ठी चूड़ा भर चबाने की कोशिश कर रहे। मुंह के हिसाब से चूड़े की मात्रा कुछ फाजिल हो गई है, लिहाजा जबड़ा चलाने में परेशानी हो रही। खिजरसराय में नौडीहा के रहने वाले अनवर की परेशानियां भी कई तरह की हैं। कोई आगे-पीछे नहीं, लिहाजा कमाई और बचत से बेफिक्र हैं। कम उम्र में निकाह हुआ था और जवान होने पर तलाक हो गया। ढलती उम्र में गृहस्थी बसाने की ललक है, लेकिन कोई जोड़ा नहीं मिल रहा। खुद ही इसकी वजह भी बताते हैं, शहर में आकर घिस गए हैं। गांव लौट जाने के सवाल पर वे कन्नी काट लेते हैं। अंदाज बताता है कि अनवर झूठ बोलने में माहिर हैं। इन बस्तियों में झूठ बोलने वाले अनवर जैसे तमाम लोग हैं। रामशिला से थोड़ी दूर पर अवस्थित मस्जिद में जुमे की नमाज जमात में पढ़ी गई है। वहां से लौट रहे मो. जावेद बता रहे कि फातिहा पढ़कर आ रहे। इस चिलचिलाती धूप में कब्रिस्तान में जाने के सवाल पर उनकी आंखें टेढ़ी हो जाती हैं। यूसुफ मस्जिद से सटे अपने घर की जालीनुमा खिड़की से झांकते हुए मो. असद भी पहले तो नाराज दिखते हैं, लेकिन बातों के सिलसिले में इस दौर की पाबंदी को जायज मान लेते हैं। मौलवी साहब बता रहे कि कुछेक लोगों के साथ चंद लम्हा पहले नमाज खत्म हुई है। बात शुरू करने से पहले शफ्फाक दाढ़ी वाले मौलवी युनूस अहमद अपनी उम्र बताना नहीं भूलते। अब तक जिंदगी के 80 साल गुजार चुके हैं और आगे की हसरत में भरपूर खुराक ले रहे। दोहरे बदन वाला भतीजा मो. साकिब आलम घर से दोपहर का भोजन लेकर अभी-अभी पहुंचे हैं। मौलवी साहब की भूख बर्दाश्त से बाहर हुए जा रही, फिर भी दुआ करते हैं कि यह मर्ज खत्म हो और मुल्क सलामत रहे। जिंदगी की सलामती के लिए जीतू स्वजनों को गांव भेज चुके हैं। मुंह पर मास्क लगाए रंग बहादुर रोड में पैसेंजर का इंतजार कर रहे। भाड़े का रिक्शा है और एक पारी के लिए मुकम्मल 40 रुपये देने पड़ते हैं। मुठ्ठी भर सत्तू पेट में गया है और भूख जोर मार रही। दोपहर तक महज 30 रुपये की कमाई हुई है, लिहाजा कुछ खा-पी नहीं रहे। अहमद भाई को तो पूरे रुपये चाहिए। पंचायती अखाड़ा के पास उन्होंने सड़क किनारे रिक्शे का स्टैंड बना रखा है। दो दर्जन से अधिक रिक्शे हैं और एक रिक्शा कम से कम दो पारी में चलता है। उनका कामकाज देखने वाले मरियल मुन्ना बता रहे कि जायकेदार भोजन और दोपहर के आराम से असलम भाई समझौता नहीं करते। मेहरबानी नीली छतरी वाले की, अनवर और जीतू जैसे दाएं-बाएं चलने वालों की भी कमी नहीं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.