सब्जी उत्पादकों को नहीं मिल रहा वाजिब रेट, बिचौलिए काट रहे चांदी, खरीदार परेशान
-खेतों में सब्जी की बंपर पैदावार पर बाजार ही फीका -कई जगहों पर खेतों में उपजी सब्जियां बाजार तक नहीं पहुंच रहीं -छोटे दुकानदार पुलिस की डर से मंडी तक नहीं पहुंच रहे -चोरी-छिपे सब्जी लाकर बिचौलिये ज्यादा मुनाफा बंटोर रहे जागरण संवाददाता गया
गया । कोरोना संकट की वजह से सब्जी उत्पादक इन दिनों परेशान हैं। उनकी हरी सब्जियों को वाजिब रेट नहीं मिल रहा है। शहर की थोक मंडी में औने-पौने दाम में भी सब्जी खरीदी नहीं जा रही है। कई किसान बिना सब्जी बेचे ही उसे घर लेकर लौटने को विवश हैं। इधर, किसी तरह से गांव से सब्जी लाकर शहर में बेचने वाले कई बिचौलिये इसका मुनाफा कमा रहे हैं।
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जनता कर्फ्यू के अगले दिन बढि़या रेट मिला, इसके बाद सब कुछ धड़ाम
टनकुप्पा प्रखंड के सब्जी उत्पादक किसान ईश्वर कुमार वर्मा ने कहा कि 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के अगले दिन सब्जी की रेट बहुत अच्छी मिली थी। उसके बाद सबकुछ धड़ाम हो चुका है। 26 मार्च को मानपुर मंडी में ये 63 किलो हरी मिर्च लेकर गए। लेकिन मुश्किल से 20 किलो ही मिर्च बिका। वह भी महज 30 रुपये की रेट से। बैगन 5 रुपये किलो व टमाटर 8 रुपये किलो तक बेचना पड़ रहा है। इसी गांव के भिंडी उत्पादक किसान अनिल कुमार मेहता ने कहा कि अभी बाजार में सब्जी का रेट 50 रुपये तक रहता था। जबकि स्थिति है कि 25 रुपये में ही यह बिक पा रहा है। इनकी मिर्च महज 10 रुपये किलो की भाव से खरीदी गई। जबकि 21 मार्च तक इनकी मिर्च 60 रुपये किलो तक थोक मंडी में बिकी। मिर्च जब नहीं बिकी तो इन्हें घर लाकर आंगन में रखना पड़ा। इसी तरह से प्रशांत मेहता, राजू मेहता व दूसरे सब्जी उत्पाद किसानों को भी नुकसान हो रहा है।
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20 रुपये वाली गोभी 10 रुपये में भी खुशामद करने पर बिकती
खरखुरा के किसान उमेश प्रसाद, मनोज कुमार कहते हैं कि गोभी का रेट बहुत गिर गया है। 10 रुपये में भी कोबी नहीं बिक पाती। टमाटर की रेट तो 10 से 12 तक रह गई है। सब्जी उपजाने वाले किसानों ने कहा कि जिस लागत से सब्जी उपजती है उस हिसाब से मुनाफा नहीं मिल रहा है। किसानों के लिए मौजूदा संकट कई गुना बड़ा है।
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तो बरकरार रहेगी सप्लाई चेन
-लॉकडाउन में थोक सब्जी दुकानदारों की गाड़ी को किसानों तक पहुंचने के लिए पास निर्गत हो
-सब्जी मंडियों तक खरीदारों के पहुंचने के लिए या सब्जी घर-घर तक पहुंचाने के लिए सरल व्यवस्था करनी होगी
-सब्जी उत्पादक किसानों को सब्जी बेचने के लिए सभी सहूलियतें आसानी से उपलब्ध करानी होगी
-लॉकडाउन में लोग घबराकर रसोई में सब्जी कम बना रहे हैं। इसके चलते भी बाजार फीका है।
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सब्जी उत्पादक किसानों की सब्जी मंडी तक आसानी से पहुंचे। इसके लिए जिले के वरीय अधिकारियों से बातचीत की जाएगी। आढ़त की गाड़ी यदि किसानों के गांव तक पहुंचने लगेगी और फिर सब्जी आसानी से बाजार में बिकेगी तभी किसानों को सही रेट मिल पाएगा।
ओमप्रकाश मिश्र, जिला उद्यान पदाधिकारी, गया।
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थोक मंडी में सब्जियों का हाल
सब्जी- लॉकडाउन से पहले -अब
(दाम प्रति किलो के भाव)
बैगन-30-5
टमाटर-20-8
मिर्च-80-20
भिंडी-80-25
करैला- 60-20
परवल- 60-30
शिमला मिर्च-60-30
फरसबीन-30-10
कद्दू- 20-10
फूलगोभी-20-10
बंदगोभी-20-10