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कीचड़ बन सिसक रही फल्गु की जलधारा, कैसे करें तर्पण

-प्रथम तर्पण एवं पिंडदान फल्गु नदी के जल से करने का ही विधान -मोक्षदायिनी की दशा दयनीय शहर के कई गंदे नाले गिर रहे नदी में जल पूरी तरह प्रदूषित -कई जगहों पर कूड़े के पहाड़ अतिक्रमण कर बना लिए गए मकान ----------- जागरण संवाददाता गया

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 02:18 AM (IST)Updated: Mon, 09 Sep 2019 02:18 AM (IST)
कीचड़ बन सिसक रही फल्गु की जलधारा, कैसे करें तर्पण
कीचड़ बन सिसक रही फल्गु की जलधारा, कैसे करें तर्पण

गया । फल्गु नदी के एक बूंद पानी से पितरों को मोक्ष मिल जाता है। प्रथम तर्पण एवं पिंडदान फल्गु नदी के जल से ही होता है, लेकिन आज वो उपेक्षा का शिकार हो गई है। उसकी जलधारा कीचड़ बन सिसक रही है। मोक्षदायिनी की दशा दयनीय बन गई है।

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पूरे विश्व से हिदू धर्म को मानने वाले श्रद्धालु प्रत्येक वर्ष पितृपक्ष में अपने पूर्वजों के मोक्ष की कामना को लेकर गयाजी आते हैं। पिंडदानी फल्गु के जल से तर्पण अर्पण को आते हैं, लेकिन यहां आकर वह निराश हो जाते हैं। आज फल्गु की स्थिति अत्यंत सोचनीय है। पूरे शहर की गंदे नाले फल्गु में गिर रहे हैं। इसमें मनसरवा, कुजापी, बॉटम, चौक नाले आदि के गंदे पानी गिर रहे हैं। इसके कारण नदी का पानी प्रदूषित हो चुका है। सीढि़यां घाट, विंदेश्वरी घाट तक फल्गु की स्थिति भयावह है। और तो और बरसात को छोड़ पूरे साल दाह संस्कार फल्गु नदी में ही किया जाता है। चारों तरफ गंदगी के ढेर लगे हैं। कुछ वर्ष पहले तक नगर निगम कूड़े की डंपिंग भी फल्गु के तट पर ही करता था। इस कारण कूड़े का पहाड़ बन गया। कई जगहों पर अतिक्रमण कर मकान बना लिए गए हैं। रेलवे पुल के नीचे तो फल्गु को पहचाना भी मुश्किल है। अवैध रूप से बालू के उठाव के कारण फल्गु घाटों के आसपास गहरे गड्ढे हो गए हैं।

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फल्गु के जल के रूप

में भगवान श्रीविष्णु

निरंजना नदी और मुहाने नदी का संगम होने पर उत्तर दिशा में मुहाने नदी की धारा बहती है तो मधुश्रवा (मनसरवा) के संगम स्थल से फल्गु का नामकरण होता है। आचार्य लालभूषण मिश्र कहते हैं, इस नदी के जल के रूप में भगवान विष्णु हैं। गयाधाम का प्रथम तर्पण एवं पिंडदान फल्गु नदी के जल से ही होता है। फल्गु तीर्थ का क्षेत्र लखनपुरा स्थित परपितामह शंकर से प्रारंभ होकर उत्तर मानस तीर्थ जाता है। इसके अंतर्गत तर्पण एवं पिंडदान के स्थल गजाधार घाट, देवघाट, गायत्री घाट, बैकुंठ घाट और उत्तर मानस घाट हैं।

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पितृपक्ष को लेकर घाटों

पर चल रही तैयारी

पितृपक्ष को लेकर फल्गु के घाटों पर तैयारी चल रही है। घाटों को सजाने के साथ पंडाल का निर्माण कार्य चल रहा है। पितृपक्ष में सबसे अधिक तीर्थयात्रियों की भीड़ देवघाट और गजाधार घाट पर लगती है। यहां काफी संख्या में पिंडदानी कर्मकांड को लेकर आते हैं। घाट पंडाल लगाने के साथ स्नान करने के झरना, शीतल पेयजल के लिए प्याऊ, बैठने का यात्री शेड आदि का निर्माण किया जा रहा है। साथ ही घाटों का रंग-रोगन किया जा रहा है ताकि पिंडदानियों को असुविधा न हो।


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