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फतेहपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को खुद को इलाज की जरूरत

प्रखंड का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खुद बीमार है। यहां गरीबों के इलाज के बदले इस अस्पताल।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 08:22 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 08:22 PM (IST)
फतेहपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को खुद को इलाज की जरूरत
फतेहपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को खुद को इलाज की जरूरत

गया। प्रखंड का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खुद बीमार है। यहां गरीबों के इलाज के बदले इस अस्पताल को विभागीय इलाज की जरूरत है। सरकार ने लोगों के स्वास्थ्य की सुविधा को देखते हुए पीएचसी से सीएचसी में उत्क्रमित कर दिया। आलीशान भवन बन गए पर इलाज के लिए जितनी सुविधाएं होनी चाहिए वो नहीं है।

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आठ में चार चिकित्सक पदास्थापित

मरीजों के इलाज के लिए यहां चिकित्सक के आठ पद स्वीकृत हैं पर चार ही कार्यरत हैं। इनमें तीन नियमित व एक संविदा पर हैं। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अशोक कुमार, डॉ. लाल बाबू व एक अन्य चिकित्सक एमबीबीएस हैं, जबकि एक दंत चिकित्सक है।

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महिला चिकित्सक नहीं

वर्षो से अस्पताल में महिला चिकित्सक नहीं हैं। औसतन प्रतिदिन 15 के आसपास प्रसव के मरीज आते हैं, जिन्हें एएनएम प्रसव कराती हैं।

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ड्रेसर का पद वर्षो से रिक्त

ड्रेसर का पद भी वर्षो से रिक्त है। किसी तरह काम चल रहा है। समस्या थोड़ी भी जटिल होने पर प्रसव वेदना से तड़पते मरीजों को रेफर कर दिया जाता है।

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दो में एक एंबुलेंस ही सेवा में

नियमित व संविदा पर 37 एएनएम पदास्थापित हैं। दो एंबुलेंस में से एक काम का नहीं। अस्पताल में लगे आरओ शोधित जल वाली मशीन खराब है। शौचालय के कुछ दरवाजों की कुंडी महीनों से टूटी पड़ी है, जिसे देखने वाले कोई नहीं है। बेड पर सतरंगी चादर कभी नजर नहीं आता है।

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दवा वितरण के लिए

तीन फार्मासिस्ट

केंद्र में कई दवा उपलब्ध नहीं है। समय पर एंटी रेबीज इंजेक्शन भी मरीजों को नहीं मिल पाता है। दवा वितरण के लिए तीन फार्मासिस्ट कार्यरत है।

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पाच प्रखंडों से आते हैं मरीज

सीएचसी में फतेहपुर, टनकुप्पा, वजीरगंज, मोहनपुर तथा नवादा जिले सिरदला प्रखंड के मरीज यहां लोग इलाज के लिए आते हैं। चिकित्सकों की कमी के कारण कई मरीजों का इलाज नहीं हो पाता है।

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महिलाओं को होती है परेशानी

इलाज के लिए पुरुषों की अपेक्षा इस केंद्र पर महिलाओं की संख्या अधिक हुआ करती है। महिला चिकित्सक नहीं रहने के कारण उन्हें उचित परामर्श नहीं मिल पाता। एएनएम के सहारे ही महिलाएं काम चला लेती हैं। महिला चिकित्सक नहीं रहने के कारण महिलाएं अपनी समस्या खुलकर नहीं रख पाती हैं।


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