पितृ तर्पण को आए 'देव-देवियों' के पखारे पांव
सुभाष कुमार, गया पितरों के मोक्ष की कामना लेकर यहां आ रहे देश-विदेश के पिंडदानी तर्पण अर्पण करें,
सुभाष कुमार, गया
पितरों के मोक्ष की कामना लेकर यहां आ रहे देश-विदेश के पिंडदानी तर्पण अर्पण करें, उससे पहले उनके चरण पखारे जा रहे हैं। इसलिए कि अतिथि देवतुल्य होते हैं। आतिथ्य सत्कार की इस महान भारतीय परंपरा से वे अभिभूत हो रहे हैं।
मोक्षभूमि गयाजी की पावन धरती पर पहुंचा एक परिवार उस समय भावविह्वल हो गया, जब महिलाओं ने उनके पांव पखारे और आरती उतारी। पितृपक्ष के दौरान देश-विदेश से बड़ी संख्या में पिंडदानी गया आते हैं। जिधर देखिए, उधर पिंडदानी। शहर जैसे इसको लेकर पुलकित रहता है कि इतनी बड़ी तादाद में मेहमानों का आगमन हुआ है। उनके ठहरने के लिए प्रशासन ने स्कूलों में भी व्यवस्था की है। विराजमोहनी कन्या मध्य विद्यालय में ऐसा ही एक जत्था पहुंचा। ये लोग चित्रकूट (उत्तरप्रदेश) से आए थे। संध्या बेला में जब ये लोग पहुंचे तो स्कूल की शिक्षिकाओं ने उन्हें आदर के साथ कुर्सी पर बिठाया। थाली में उनके पांव पखारे, आरती उतारी और तिलक लगाकर अभिवादन किया। वयोवृद्ध तीर्थयात्री लाला सिंह और उनकी पत्नी मालती सिंह की आंखें छलक आई। उन्होंने भी सभी को सुख-समृद्धि का आशीष दिया। उनके पुत्र राकेश सिंह व पत्नी प्रमिला सिंह, दामाद पृथ्वीराज सिंह अभिभूत थे। उन्होंने कहा कि मोक्षभूमि पर अतिथि सत्कार की महान भारतीय परंपरा का इससे बड़ा स्वरूप और क्या हो सकता है। विद्यालय की प्राचार्या रीता सिंह ने कहा कि अतिथियों का सत्कार उनके लिए सौभाग्य की बात है। ईश्वर यह अवसर हर किसी को नहीं देता है। ममता कुमारी, मीना कुमारी, रागिनी वर्मा, अनिता कुमारी एवं निशा कुमारी ने सभी पिंडदानियों का बारी-बारी से अभिनंदन किया। अतिथियों ने कहा कि यह सत्कार वे कभी नहीं भूल सकते हैं। यह धरती ऐसे ही मोक्ष और ज्ञान की भूमि नहीं है।