गया की भूमि को विष्णुपद ने किया पावन
जासं, गया : गया की भूमि को विष्णुपद ने पावन कर दिया है। पितृपक्ष के अलावा वर्षभर यहां तीर्थयात्रियों
जासं, गया : गया की भूमि को विष्णुपद ने पावन कर दिया है। पितृपक्ष के अलावा वर्षभर यहां तीर्थयात्रियों का आगमन होता रहता है। तीर्थयात्री विष्णुपद का दर्शन करना अपने आपको सौभाग्य मानते हैं। विष्णुपद मंदिर का निर्माण 1780 में महारानी अहिल्या बाई होलकर ने कराई थीं, जो जेठीयन की पहाड़ी से पत्थर के शिला को एक-दूसरे पर रखकर बनाया गया है। इसके उपरी भाग गुंबजाकार है, जहां सोने का ध्वज फहरता रहता है। विष्णुपद के गर्भगृह में भगवान के चरण शिला पर उर्द्धत है, जो चांदी के अष्टकुंड से घिरा है। उपर में चांदी का छत्र शोभायमान है। गर्भगृह तक आने के लिए बने दरवाजे भी चांदी के हैं।
विष्णुपद का पट खुलते ही श्रद्धालुओं की भीड़ यहां बढ़ जाती है। शाम के वक्त चरण का शृंगार मलयागिरि चंदन से होता है। रक्त चंदन से चरण चिह्न पर शंख, चक्र, गदा, पद्यम आदि अंकित हैं। इस आकर्षक पदचिह्न को श्रद्धालु पतले से बारीकी वस्त्र पर उतार लेते हैं। और उन्हें पूजन के ख्याल से अपने घर तक ले जाते हैं। चरण के चारों तरफ तुलसी चढ़ा होता है।