मां की ममता का भाव व अंत:मन की प्रवाह है ¨हदी
जागरण संवाददाता, गया : ¨हदी साहित्य सम्मेलन भवन में रविवार को आयोजित काव्य संध्या चन्द्रदेव प्रसाद क
जागरण संवाददाता, गया : ¨हदी साहित्य सम्मेलन भवन में रविवार को आयोजित काव्य संध्या चन्द्रदेव प्रसाद केशरी के गणेश वंदना से शुरू हुई। अध्यक्षता सम्मेलन के सभापति सुरेन्द्र सिंह सुरेन्द्र ने की। संचालन संजीत कुमार ने किया। संजय कुमार समदर्शी ने नेताओं पर व्यंग्य करते हुए कहा- आज के नेता खोल रहे हैं एक दूसरे की पोल। सत्ताधारी की कुर्सी होगी डमाडोल। डॉ. राकेश कुमार सिन्हा रवि ने मोक्ष की धरती गयाजी को पितृतीर्थ कहा। शिव प्रसाद मुखिया ने पितृपक्ष और गयाजी का गुणगान किया। रमेश मिश्र मानव ने ¨हदी पखवारा पर कहा- ¨हदी हम्मर रागनी आउ राग हम्मर हे। ई हे लिलार के चंदन आउ सुहाग हम्मर हे। शिवेन्द्र प्रताप सिन्हा ने कहा- अंत:मन की प्रवाह है हिंदी, मा की ममता का भाव है हिंदी। डॉ. सुल्तान अहमद ने गजल गाया- दोस्तों ने ही यह अफवाह उड़ाई होगी। वरना आईना तो कह देता है बीमार हैं हम। मुंद्रिका सिंह ने कहा- कलमे हे हम्मर सच्चा साथी, ई चाहे अब जे करबे। चाहे उगावे चाहे डूबावे, चाहे दुनिया से लड़वावे। इनके अलावा संजू प्रसाद, नंदकिशोर सिंह, डॉ. निरंजन श्रीवास्तव, कारूजी आदि ने भी कविता पढ़ी। डॉ. ब्रजराज मिश्र ने काव्य संध्या की समीक्षा की। अरुण हरलीवाल ने भाषा पर विचार किया।
सम्मेलन के अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह सुरेन्द्र ने साहित्यकारों से 24 सितम्बर को मगही भाषा को उचित स्थान दिलवाने के लिए पटना चलने की अपील की। महामंत्री सुमन्त ने धन्यवाद ज्ञापित किया।