राष्ट्र को एक सूत्र में बांधती है ¨हदी
जागरण संवाददाता, गया : जिला ¨हदी साहित्य सम्मेलन भवन में सभापति सुरेन्द्र सिंह सुरेन्द्र की अध्यक
जागरण संवाददाता, गया : जिला ¨हदी साहित्य सम्मेलन भवन में सभापति सुरेन्द्र सिंह सुरेन्द्र की अध्यक्षता में ¨हदी दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर रामावतार सिंह, अरुण हरलीवाल, डॉ. अरुण कुमार प्रसाद, डॉ. ब्रजराज मिश्र ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि ¨हदी ही केवल अपने देश की एकमात्र भाषा है, जिसे कश्मीर से कन्या कुमारी तक भारतीय समझते हैं। ¨हदी सरल, सुगम्य, सुबोध है, जिसमें स्पष्टता है। हिंदी भाषा ही है जो पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में बांध सकती है। हमें खुद को ¨हदी में काम करने की आदत डालनी चाहिए।
उपस्थित कवियों ने काव्य के माध्यम से ¨हदी का गुणगान किया। डॉ. कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी ने कहा कि जिस तरह मछलियों के हित सबसे प्यारा होता पानी। वैसे ही हम ¨हदुस्तानी हिंदी से प्रम करते हैं। चंद्रदेव प्रसाद केशरी ने कहा कि हम हिन्द देश के वासी हैं, हिंदी जन-जन की भाषा है। ¨हदी की बिंदी जग में चमके यही मेरी अभिलाषा है। संजति कुमार ने कहा कि ¨हदी हमारी मातृभाषा सदा ¨हदी की जय जयकार है। डॉ. सुलतान अहमद ने गजल 'अपने देश की संस्कृति सम्मान की, अहमद ये मोहताज नहीं पहचान की', दुनिया भर की भाषाओं से बेहतर है, उर्दू ¨हदी दोनों हिन्दुस्तान की'। यदूनंदन प्रसाद ने कहा कि गौरवशाली ¨हदी दिवस आज है। हमें हिंदी भाषा का गुनगान करना चाहिए। नंदकिशोर सिंह ने कहा कि राष्ट्रभाषा इसे बनना है, देश के हर जन को अपनाना है। इसका सम्मान बढ़ाना है। सूर्यानंद मिश्र ने कहा कि हम वासी हैं हिन्द देश के ¨हदी मेरी भाषा। अखिल विश्व की यह बन जाए, मेरी यह अभिलाषा। इनके अलावा मुद्रिका सिंह, डॉ. निरंजन श्रीवास्तव, संजोष कुमार सिन्हा व अन्य ने भी अपनी रचनाएं पढ़ीं।