स्वास्थ्य केंद्र को अपना भवन तक नहीं, बरामदे में इलाज
गया। नौ पंचायतों वाले नीमचक बथानी प्रखंड के लोगों के लिए न्यूनतम स्वास्थ्य सेवाएं भी उपलब्ध नहीं
गया। नौ पंचायतों वाले नीमचक बथानी प्रखंड के लोगों के लिए न्यूनतम स्वास्थ्य सेवाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। यहां के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में यदि मरीज को एंबुलेंस की जरूरत पड़ जाए तो शायद ही मिल सके। वह अक्सर खराब ही रहती है। मरम्मत होती है, कुछ दिन चलने के बाद फिर गैराज में।
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ड्रेसर भी नहीं हैं स्वास्थ्य केंद्र में
मरीजों की मरहम-पट्टी के लिए यहां ड्रेसर भी नहीं हैं। स्वास्थ्य केंद्र का अपना भवन व पर्याप्त कमरे नहीं होने के कारण मरीजों को दवा देकर बरामदे से ही विदा कर दिया जाता है। 2012 में तत्कालीन जिलाधिकारी वंदना प्रेयसी के कार्यकाल में इसे राजेंद्र आश्रम में शिफ्ट किया गया, तब ये यहीं संचालित है।
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ओपीडी बरामदे में
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को 2012 में राजेंद्र आश्रम के भवन में शिफ्ट किया गया। तब से ओपीडी भी बरामदे में ही चलती है। चूंकि कमरे नहीं हैं, इसलिए मरीजों के लिए सिर्फ तीन बेड लगे हैं। इसी में जैसे-तैसे काम चलाया जा रहा है। औसतन हर दिन पांच दर्जन मरीज यहां आते हैं। भर्ती मरीजों को सुबह का नाश्ता और खाना नहीं मिलता है।
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तीन चिकित्सक कार्यरत
यहां चार में तीन चिकित्सक ही कार्यरत हैं। चिकित्सा प्रभारी के अलावा डॉ. विजय कुमार, डॉ. मीना कुमारी और एक आयुष चिकित्सक डॉ. जितेंद्र कुमार यहां पदस्थापित हैं। आयुष चिकित्सक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, खुखड़ी की जिम्मेदारी संभालते हैं।
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एक्सरे की सुविधा नहीं
ओपीडी में 33 की जगह 27 और इंडोर में 112 प्रकार की दवाइयों की जगह 90 प्रकार की दवा उपलब्ध है। ऐसे में मरीजों को शेष दवा के लिए बाहर जाना पड़ता है। यहां अल्ट्रासाउंड और एक्सरे की व्यवस्था नहीं है।
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'उपलब्ध सीमित संसाधनों में लोगों को 24 घंटे स्वास्थ्य सेवा देने का प्रयास रहता है। भवन के लिए कई बार विभागीय पदाधिकारियों को पत्र प्रेषित किया गया है, इसका संज्ञान नहीं लिया जा रहा है।
डॉ. अवधेश प्रसाद, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रा.स्वा. केंद्र, नीमचक बथानी