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एक और बंटवारे के बाद सिमट गया मगध विश्वविद्यालय

[विनय कुमार मिश्र] बोधगया: बोधगया से पटना और बक्सर तक फैले बिहार के सबसे बडे़ विश्वविद्यालय का

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Mar 2018 08:27 PM (IST)Updated: Wed, 21 Mar 2018 08:27 PM (IST)
एक और बंटवारे के बाद सिमट गया मगध विश्वविद्यालय
एक और बंटवारे के बाद सिमट गया मगध विश्वविद्यालय

[विनय कुमार मिश्र] बोधगया:

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बोधगया से पटना और बक्सर तक फैले बिहार के सबसे बडे़ विश्वविद्यालय का भू-भाग अब और सिमट गया। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय की अधिसूचना के साथ ही मगध विश्वविद्यालय कई कॉलेज अब उसके अंग हो गए।

90 के दशक से पहले मविवि का क्षेत्र भभुआ और बक्सर तक फैला था। उस समय मविवि में अंगीभूत कॉलेजों की संख्या 61 थी। सरकार ने वर्ष 1991 में वीर कुंवर सिंह विवि की स्थापना की तो इसके 17 अंगीभूत कॉलेज उसमें चले गए। दर्जनों कर्मचारियों को स्थानांतरित किया गया। मविवि के पास 44 कॉलेज बच गए।

वर्ष 2017 में मौजूदा सरकार ने पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा कर दी। सरकार द्वारा जारी गजट में कहा गया कि पटना व नालंदा जिले में स्थित मविवि के सभी अंगीभूत व अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय पाटलिपुत्र विवि के अधीन होंगे। अब इसके 25 अंगीभूत व तीन अल्पसंख्यक कॉलेज पाटलिपुत्र विवि के अधीन हो गए। मगध प्रमंडल के औरंगाबाद, गया, जहानाबाद, नवादा व अरवल जिले के शेष 19 अंगीभूत व एक अल्पसंख्यक विवि मगध विश्वविद्यालय के अधीन रह गए हैं। नवसृजित पाटलिपुत्र विवि में कुलपति व प्रतिकुलपति ने योगदान दे दिया है। मविवि के पटना स्थित शाखा कार्यालय में फिलहाल पाटलिपुत्र विवि का कार्यालय संचालित है।

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मविवि की जमीन भी बंटी

कुछ वर्ष पूर्व केंद्र सरकार ने बिहार को आइआइएम का तोहफा दिया। सूबे के पहले आइआइएम की स्थापना राज्य सरकार के आदेश पर मविवि परिसर में कर दी गई। विवि परिसर स्थित शिक्षा विभाग के भवन में आज भी आइआइएम का कार्यालय व वर्ग संचालित है। एक छात्रावास भी आइआइएम को स्थानांतरित कर दिया गया। बाद में सरकार की पहल पर मविवि के भूखंड को भी आइआइएम को स्थानांतरित कर दिया गया। विवि के जमीन स्थानांतरण को लेकर विरोध भी हुआ था, लेकिन सरकार के आदेश के बाद मामला सुलझ गया।

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अधिकारियों में आदेश को लेकर संशय

पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के अस्तित्व में आ जाने से मविवि के अधिकारियों के समक्ष किसी प्रकार के आदेश को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि पटना व नालंदा स्थित सभी अंगीभूत कॉलेज पाटलिपुत्र विवि के अधीन हो गए और विवि अस्तित्व में आ गया। एक अधिकारी ने बताया कि कुलाधिपति कार्यालय से जब तक कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं मिल जाता है, तब तक काम करने में परेशानी होगी।

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स्थानांतरण की बन रही नीति

विवि बताते हैं कि जब पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय अस्तित्व में आ गया है तो मविवि से कर्मचारियों का भी स्थानांतरण होगा। इसकी नीति बनाई जा रही है। राजभवन से प्राप्त निर्देश के तहत स्थानांतरण की सूची तैयार कर अधिसूचित की जाएगी। हालांकि स्थानांतरण को लेकर कई कर्मचारियों में असमंजस की स्थिति है।

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पुराना परीक्षा रिकार्ड रहेगा मविवि में

पाटलिपुत्र विवि के अस्तित्व में आ जाने के बाद भी इसका लाभ नए सत्र से नामांकित छात्रों को ही मिल पाएगा। अभी तक मविवि द्वारा ली गई परीक्षा का सारा रिकार्ड यहीं रहेगा और यहीं से पुराने छात्रों का सारा कार्य होगा। सूत्र बताते हैं कि गत माह संपन्न हुई स्नातक प्रथम खंड परीक्षा का रिकार्ड पाटलिपुत्र विवि में भेजे जाने की संभावना है।

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सेंट्रल पैनल का चुनाव भी होगा प्रभावित

पाटलिपुत्र विवि के अस्तित्व में आ जाने से अब मविवि सेंट्रल पैनल छात्रसंघ का चुनाव भी प्रभावित होने की प्रबल संभावना बनने लगी है। सेंट्रल पैनल चुनाव का अभ्यर्थी बनने और मतदान करने का अधिकार केवल विवि काउंसलर व कॉलेज काउंसलर को है। ऐसे में जब 25 अंगीभूत कॉलेज पाटलिपुत्र विवि में चले गए तो स्वाभाविक है कि चुनाव प्रभावित होगा। एक चुनाव अधिकारी ने बताया कि मविवि के कुलपति को सेंट्रल पैनल चुनाव के लिए अब विधि विशेषज्ञ व कुलाधिपति सचिवालय से दिशा-निर्देश प्राप्त करना होगा। तभी छात्रसंघ चुनाव वैध माना जाएगा।


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