कोलकाता-दिल्ली राजधानी ट्रेन हादसे में गई थी 133 यात्रियों की जान, औरंगाबाद में हर साल होती प्रार्थनासभा
धावा नदी रेलवे ब्रिज पर रेल पटरी का पूजन करते हुए नारियल फोड़कर सामूहिक रूप से रेल हादसे में मृत रेल यात्रियों की आत्मा की शांति हेतु कैंडल जलाकर दो मिनट का मौन रखा गया। हर साल प्रार्थनासभा का आयोजन किया जाता है।
संवाद सूत्र, रफीगंज (औरंगाबाद)। प्रखंड स्थित धावा नदी रेलवे ब्रिज पर वर्ष नौ सितंबर 2002 को कोलकाता से चलकर नई दिल्ली जाने वाली कोलकाता-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस रफीगंज धावा नदी रेलवे ब्रिज पर भीषण दुर्घटना ग्रस्त हो गई थी। इसमें 133 रेल यात्रियों की मृत्यु हो गई थी। जबकि 250 रेलयात्री घायल हो गए थे। हादसे की वजह से इस रेलखंड पर कई दिनों तक रेल परिचालन बंद हो गया था। 19 वर्ष बीतने के बाद भी राज्य एवं केंद्र सरकार इस भीषण हादसे की जांच को अंतिम मुकाम तक नहीं पहुंच सकी है। स्थानीय रेल अभियंता, प्रशासन एवं समाजसेवी द्वारा घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए प्रत्येक वर्ष 2002 से नौ सितंबर की देर रात 10.42 बजे उसी रेलवे ब्रिज पर रेल पटरी की पूजा कर नारियल फोड़ते हैं।
कैंडल जलाकर हादसे में मृत रेल यात्रियों की आत्मा की शांति हेतु दो मिनट का रख श्रद्धांजलि देते हैं। यह एक प्रथा सी बन गई है। इस वर्ष भी स्थानीय पीडब्ल्यूआई, आरपीएफ एवं समाजसेवियों द्वारा धावा नदी रेलवे ब्रिज पर रेल पटरी का पूजन करते हुए नारियल फोड़कर सामूहिक रूप से रेल हादसे में मृत रेल यात्रियों की आत्मा की शांति हेतु कैंडल जलाकर दो मिनट का मौन रखा गया। हर साल प्रार्थनासभा का आयोजन किया जाता है।
इस अवसर पर पीडब्ल्यूआई राम भजन सिंह, सुरेश यादव, आरपीएफ के सहायक उप अमरिश निरीक्षक राय, प्रधान आरक्षी डीके सिंह, समाजसेवी डा. तुलसी यादव, मनोज मधुकर, डीके सूरज, सुनील दीप, अवधेश कुमार, भारत भूषण, अनिल कुमार, महीप कुमार, कृष्ण मुरारी कुमार, प्रेम चंद लकड़ा, रविंद्र कुमार, समीर कुमार, रविशंकर कुमार, दिनेश कुमार, रात्रि प्रहरी अब्दुल अली, गौतम कुमार, राम दास मांझी, छात्र नेता शुभम सिंह, पप्पू यादव, पंकज कुमार ठाकुर, छात्र नेता अजय कुमार, सिद्धी यादव, बाला, सत्येंद्र यादव, रोहित कुमार, जयदीप कुमार, अजय कुमार, अभय, मंदीप व रूद्रा चंद्रवंशी समेत कई लोग शामिल हुए।