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बिहार पुलिस में गया के वन क्षेत्र के 11 प्रतिभागियों को मिली सफलता, चार छात्राएं भी बनेंगी सिपाही

बिहार पुलिस की परीक्षा में अतिपिछड़ा वनस्थली क्षेत्र के 11 मेघावी छात्र-छात्राओं ने सफलता हासिल की है। एक संस्‍थान के मदद से ये सभी चयनित हुए हैं। इनमें चार छात्राएं भी शामिल हैं। सफलता मिलने से ये सभी गदगद हैं।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 07:59 AM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 08:00 AM (IST)
बिहार पुलिस में गया के वन क्षेत्र के 11 प्रतिभागियों को मिली सफलता, चार छात्राएं भी बनेंगी सिपाही
बिहार पुलिस की परीक्षा में सफल प्रतिभागी। जागरण

टनकुप्पा (गया), संवाद सूत्र। जहां चाह वही राह वाली कहावत सुदूर गांव एवं अतिपिछड़ा वनस्थली क्षेत्र के मेघावी छात्र छात्राओं ने कड़ी मेहनत के बदौलत बिहार पुलिस की मुख्य परीक्षा में सफलता पाई है। सफल छात्रों ने माता, पिता, गांव एवं संस्था का नाम रौशन किया है। ये सभी होनहार छात्र अतिपिछड़ा वनस्थली क्षेत्र फतेहपुर प्रखंड के कठौतिया पंचायत के रंगुनगर, मनहोना, बघबन्दवा गांव का रहने वाला किसान एवं मजदूर के बेटे-बेटी हैं।

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एक संस्‍थान ने खोले सफलता के द्वार

छात्रों को सही मार्ग दिखाने का काम किया फतेहपुर प्रखंड के गुरपा ओपी क्षेत्र के रंगुनगर स्थित एक शिक्षण संस्थान ने। छात्रों ने संस्था के नियम एवं बताये मार्ग का पालन करते हुए सफलता हासील की है। बिहार पुलिस परीक्षा में सफल हुए छात्र छात्रा में तीन अपने सहोदर भाई है। विकास कुमार, राकेश कुमार, मुकेश कुमार, तीनो पिता उमेश प्रसाद ग्राम रंगुनगर का रहने वाला है। इसी गांव के मुकेश कुमार, पिता रामजी मांझी एवं खुशबु कुमारी पिता वीरेंद्र प्रसाद शामिल है। इसके अलावा रंजन कुमार पिता महावीर प्रसाद, ग्राम मनहोना, शोभा कुमारी पिता यदु प्रसाद ग्राम बघबन्दवा, सुधीर कुमार ग्राम दुन्दु, चंदन कुमार ग्राम जयपुर, दौलती कुमारी पति रोहन पासवान ग्राम मनहोना के हैं।। सफल हुए छात्रों में अधिकांश  कठौतियाकेवाल पंचायत के रहने वाले है। कुल 11 छात्रों में चार छात्रा भी सफलता प्राप्त की है। इसके अलावा एसटीईटी की परीक्षा में चार छात्र सफल हुए है। सफल हुए छात्रों ने बताया कि संस्थान की ओर से निश्‍शुल्‍क तैयारी कराई जाती है।

क्या कहते है संस्था संस्थापक

संस्था के संस्थापक नरेश भारती ने बताया कि क्षेत्र के युवा को मुख्य धारा से भटकता देख 2011 में जंगल क्षेत्र में निश्‍शुल्क शिक्षा देने के लिए शिक्षण संस्था झोपड़ी में खोली। इस संस्था से गरीब मेघावी छात्रों को नौकरी की तैयारी कराई जाने लगी। धीरे धीरे मेहनत रंग लाई। शिक्षक एवं छात्रों ने मेहनत करना शुरू किया और सफलता मिलने लगा। प्रत्येक वर्ष दर्जन युवक युवतियां तैयारी के सहारे नौकरी हासिल कर रही है। छात्रों को बिल्कुल निश्‍शुल्क शिक्षा दी जाती है। संस्था की ओर से पुस्तकालय खोला गया है। इसमे प्रतियोगिता परीक्षा की सभी पुस्तक उपलब्ध है। छात्र इसी पुस्तकालय की पुस्तक से पढ़ाई करते है। छात्रों को सुबह और शाम तैयारी कराई जाती है।


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