स्नातक में नामांकन से वंचित रह गए 10 हजार छात्र-छात्राएं, किशोरी सिन्हा महिला कॉलेज में नहीं होती कॉमर्स की पढ़ाई
जिले के कॉलेजों में इंटर व स्नातक में नामांकन के लिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा ऑनलाइन आवेदन लिया गया था। छात्र-छात्राओं ने परेशानियों से जूझते हुए ऑनलाइन आवेदन किया था। कॉलेज में नामांकन की स्थिति अत्यंत बदतर है। नामांकन के लिए छात्र भटक रहे हैं।
औरंगाबाद, जेएनएन। जिले के कॉलेजों में इंटर व स्नातक में नामांकन के लिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा ऑनलाइन आवेदन लिया गया था। छात्र-छात्राओं ने परेशानियों से जूझते हुए ऑनलाइन आवेदन किया था। कॉलेज में नामांकन की स्थिति अत्यंत बदतर है। नामांकन के लिए छात्र भटक रहे हैं। छात्र परेशान हैं, परंतु इन्हें कोई देखने वाला नहीं है। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की गलती का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। बता दें कि पहले छात्र-छात्राएं इच्छुक व नजदीकी कॉलेजों में अपना नामांकन के लिए आवेदन देते थे। बोर्ड द्वारा प्राप्त परिणाम के आधा पर नामांकन होता था। पहले नामांकन के लिए 200 रुपया का फार्म लगता है परंतु अब 300 रुपये का ऑनलाइन पेमेंट व 100 रुपया साइबर कैफे वाले ले रहे हैं। इतना सब करने के बाद भी छात्र-छात्राएं नामांकन के लिए कॉलेज का चक्कर लगा रहे हैं।
अधर में लटक गया छात्रों का भविष्य
जिले में अब भी स्नातक के विभिन्न विषयों के नामांकन में 10 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं वंचित रह गए हैं। इन 10 हजार छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में लटक गया है। बता दें कि जितना छात्र इंटर में पास किए उसके अनुसार स्नातक में सीट नहीं है। सीट नहीं रहने के कारण छात्र-छात्राओं का नामांकन नहीं हो पा रहा है। छात्र-छात्राएं कॉलेज व विश्वविद्यालय का चक्कर लगा रहे हैं परंतु उन्हें कोई सुनने वाला नहीं है। चार मेरिट लिस्ट व ऑनस्पॉट नामांकन के बाद भी 10 हजार छात्रों का नामांकन नहीं हो सका है। किशोरी सिन्हा महिला महाविद्यालय व रामलखन सिंह महाविद्यालय में कॉमर्स की पढ़ाई नहीं होती है। एक मात्र सच्चिदानंद सिन्हा महाविद्यालय में कॉमर्स की पढ़ाई होती है। यहां हजारों छात्र-छात्राएं आवेदन भरते हैं। सीमित सीट होने के कारण सभी का नामांकन संभव नहीं है।
जनप्रतिनिधि से गुहार लगा रहे छात्र
स्नातक में नामांकन के लिए छात्र-छात्राएं सांसद, विधायक एवं अन्य जनप्रतिनिधियों के यहां गुहार लगा रहे हैं। सीट वृद्धि कराने की मांग कर रहे हैं। सांसद सुशील कुमार सिंह, विधायक आनंद शंकर सिंह एवं राजेश कुमार ने स्नातक में सीट वृद्धि को लेकर विभाग को पत्र लिखा है। सीट वृद्धि को लेकर जनप्रतिनिधि भी प्रयासरत हैं परंतु अभी तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिल पाया है। अगर सीट वृद्धि नहीं हो सकी तो जिले में 10 हजार छात्र-छात्राएं इस वर्ष नामांकन से वंचित रह जाएंगे। उनका भविष्य अधर में लटक जाएगा।
कहते हैं सीनेट सदस्य
मगध विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य सह अभाविप के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य दीपक कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय से कई तरह का प्रयास किया जा रहा है। हमलोग पिछले वर्ष भी प्रयास किए थे। दर्जनों पत्र अलग-अलग पदाधिकारियों को लिखा गया है। अधिकारी छात्र की भविष्य का चिंता नहीं कर रहे हैं। नौकरी करके समय काट रहे हैं। छात्रों को सुनने वाला कोई नहीं है। वर्ष 2018 में जितनी सीटें थी उतना सीट वृद्धि कर दिया जाए तो सभी का नामांकन हो जाएगा।