कूड़ा-कचरा फेंक पाटे जा रहे तालाब, अतिक्रमण से मिट रहा वजूद
मोतिहारी। जल की उपयोगिता के बारे में कोई अनजान नहीं है। इसके बगैर जीवन का अस्तित्व नहीं है। इसके बावजूद इसे संरक्षित व संग्रहित करने की दिशा में हमारा प्रयास नहीं होता।
मोतिहारी। जल की उपयोगिता के बारे में कोई अनजान नहीं है। इसके बगैर जीवन का अस्तित्व नहीं है। इसके बावजूद इसे संरक्षित व संग्रहित करने की दिशा में हमारा प्रयास नहीं होता। पानी की बर्बादी को रोकने की दिशा में भी लोग सजग नहीं है। जलवायु परिवर्तन का खतरा भी इसी लापरवाही की वजह से है। सरकार ने इस दिशा में कदम जरूर बढ़ाए हैं, पर सामाजिक स्तर पर भी इसके प्रति लोगों को सचेत होने की जरूरत है। पुराने जमाने में हमारे पूर्वज सामाजिक स्तर पर तालाब व कुंआ खुदवाकर उसकी उचित देखरेख भी करते थे। लेकिन समय के साथ सोच में बदलाव हुआ और तालाब उपेक्षा के शिकार होते चले गए। इसमें कूड़ा-कचरा फेंका जाने लगा। इसका पानी धीरे-धीरे सूखने लगा। अब जल संकट का खतरा हर तरफ मंडरा रहा है। सरकार भी संवेदनशील है। सरकारी तालाब को अतिक्रमणमुक्त कराने के साथ नए तालाब खुदवाने की दिशा में सरकारी ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। इस दिशा में आम लोगों का भी दायित्व बनता है कि वे भी इस अभियान का हिस्सा बनकर जल संरक्षण की दिशा में कार्य करें।
पुरानी मस्जिद के पास अवस्थित जलाशय के अस्तित्व पर खतरा
घोड़ासहन, संस : मानव सहित पशु-पक्षियों व पेड़-पौधों के लिए जल की एक-एक बूंद अमृत है। लेकिन लोगों ने इसके महत्व को नहीं समझा। जलाशयों की उपेक्षा कर उसके अस्तित्व को समाप्त करने की कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रखंड के 65 सरकारी तालाबों में से लगभग 15 के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। शहर के बीचों बीच पुरानी मस्जिद के निकट लगभग दो एकड़ में फैला तालाब इसका उदाहरण है। यह कूड़ा फेंकने वाले स्थल के रूप में उपयोग हो रहा है। कुछ दिन पूर्व इस तालाब के आसपास बनी दुकानों व संबंधित व्यवसायियों से राजस्व वसूली का काम अंचल कार्यालय द्वारा शुरू किया गया, लेकिन तालाब को संरक्षित करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किए गए। हाल यह है कि हर तरफ गंदगी पसरा है। लोगों का जीना मुहाल हो गया है। इसी प्रकार बिजई गांव स्थित तालाब अतिक्रमण का शिकार है। समनपुर गांव से दक्षिण दिशा मे अवस्थित पोखर भी अतिक्रमण का शिकार है। स्थानीय ग्रामिणों की माने तो इस तालाब के अगल-बगल के किसानों द्वारा तट को काटकर अपनी खेतों मे मिलाने की प्रवृति से यह समस्या उत्पन्न हुई है। अन्य कई गांवों में भी तालाब व कुओं में कूड़ा डालकर पाटा जा रहा है। गल्ला व्यवसायी मो अमानुल्लाह का कहना है कि तालाब मे कचरा भर जाने से इसका वजूद समाप्त होने के कगार पर है। समाजसेवी प्रभुनारायण ने कहा कि जलाशय के अस्तित्व बचाने की दिशा में प्रशासनिक स्तर पर पहल नहीं करने की स्थिति में आंदोलन किया जाएगा।
बनकटवा, संस : तालाबों की हो रही उपेक्षा के कारण उनके वजूद पर संकट आ गया है। अधिकतर गांवों में तालाबों में कचरा डाल पाटा जा रहा है। कई जगहों पर तालाब अतिक्रमण का शिकार है। कुछ वर्ष पहले इन तालाबों व कुओं से लोग सिचाई करते थे। उसके तट पर बैठ कर ताजी हवा का आनंद लेते थे। लेकिन वर्तमान में कोई तालाब के समीप ठहरना तक पसंद नहीं करते। बनकटवा नहर चौक के समीप के सरकारी तालाब की स्थिति कुछ इसी प्रकार है। तालाब पूरी तरह से अतिक्रमित है। लोगों ने अवैध रूप से कब्जा जमाकर अपना आवासीय व गैर आवासीय घर बना लिया है। तालाब के चारों ओर के तटों पर लोग घर बनाकर रहने लगे हैं। तट पर पशुपालन हेतु बने घर व नादों पर पशु बंधे है। इसी प्रकार कई तालाबों की स्थिति है। बता दें कि प्रखंड क्षेत्र में कुल 35 तालाब है। जिनका क्षेत्रफल करीब 92.8 एकड़ है। जिनमें कुल सात तालाबों को अतिक्रमणमुक्त कराने को लेकर मत्स्य विभाग द्वारा अंचल कार्यालय को आवेदन प्रेषित किया गया है।
बयान
अतिक्रमण करने वाले दर्जनों लोगों के विरुद्ध नोटिस जारी किया गया है। तालाबों को अतिक्रमणमुक्त कराने की दिशा में प्रशासनिक कवायद की जा रही है।
रणधीर कुमार, अंचलाधिकारी