गुरुजनों के चक्कर में विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर
मोतिहारी । जिले के लोगों की एक लंबी लड़ाई के बाद महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय हासिल तो हुआ, प
मोतिहारी । जिले के लोगों की एक लंबी लड़ाई के बाद महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय हासिल तो हुआ, पर अल्प समय में ही यहां का माहौल कुछ इस कदर बिगड़ गया कि विश्वविद्यालय में ताले लटक गए। जब विश्वविद्यालय ने नामांकन हुआ उस समय उत्साह का माहौल था। छोटा सा कैंपस छात्र-छात्राओं से गुलजार हुआ था। पढ़ाई का एक माहौल भी बना था। बावजूद दो साल में ही हालत यह हो गई कि कुलपति को अपने विशेषाधिकार का प्रयोग कर विश्वविद्यालय को अनिश्चितकाल के लिए बंद करना पड़ा। यहां पढ़ने वाले छह सौ विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लगा है। यह सब हुआ है यहां के गुरुजनों के आपसी सामंजस्य नहीं होने के कारण। विश्वविद्यालय के शिक्षक व प्रबंधन के बीच खींचतान का सीधा असर यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों पर पड़ रहा है। पिछले एक साल से विश्वविद्यालय के अंदर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा था। कुलपति पर शिक्षकों का आरोप हो या फिर छात्रों का हंगामा। यहां पदस्थापित शिक्षक व प्रबंधन के बीच सामंजस्य का अभाव ने विश्वविद्यालय में एक नया आंदोलन को जन्म दे दिया। काफी मशक्कत के बाद शिक्षकों के आंदोलन को शांत कराकर शैक्षणिक माहौल स्थापित करने का प्रयास भी किया गया, पर यह प्रयास भी अधिक दिनों तक नहीं चल सका। सहायक प्रोफेसर संजय कुमार के एक फेसबुक पोस्ट ने माहौल को इस कदर ¨हसात्मक कर दिया कि देखते-देखते विश्वविद्यालय में ताला लटक गया। इससे सबसे अधिक नुकसान विद्यार्थियों को हो रहा है।
खूबसूरत कैंपस में छा गई है विरानगी
जिला स्कूल स्थित छात्रावास में केंद्रीय विश्वविद्यालय का अस्थायी परिसर का संचालन होता है। विश्वविद्यालय के प्रारंभ होने से पूर्व इसका सौंदर्यीकरण कर इसका आकर्षक लुक दिया गया। आवश्यक संसाधनों को जुटाने के बाद इस भवन में शैक्षणिक कार्य प्रारंभ हुआ। दूसरे सत्र में छात्रों की संख्या बढ़ी और यह 570 तक पहुंच गई। इसी बीच विश्वविद्यालय के अंदर का विवाद बाहर आ गया और यह आंदोलन का रूप ले लिया। वर्तमान में विश्वविद्यालय में विरानगी पसरी है। मुख्य द्वार पर गार्ड जरूर तैनात हैं, पर शिक्षक व छात्रों की अनिश्चितकाल तक की छुट्टी दे दी गई है। गुरुवार को विश्वविद्यालय के द्वार पर तैनात गार्ड ने बताया कि यहां कुछ राजनीतिक दल के नेता आए थे। उनसे गेट को खोलने का उनपर दबाव भी दिया गया। गार्ड ने बताया कि प्रतिदिन यहां पढ़ने वाले छात्र जानकारी लेने आ रहे हैं कि विश्वविद्यालय कब खुलेगा। बहरहाल विवाद के कारण यहां की शिक्षा के साथ शाख भी प्रभावित हो रही है।
केविवि को मिल चुकी है 34 एकड़ भूमि
केंद्रीय विश्वविद्यालय को प्रशासनिक स्तर पर पहले चरण का भूमि अधिग्रहण कर 34 एकड़ भूमि सौंप दिया गया है। बनकट में सौंपी गई भूमि में एक स्कूल का भवन भी है।बता दें कि इस सत्र में विश्वविद्यालय में नामांकन लेने वालों को भी निराश होना पड़ सकता है। अभी तक नामांकन के लिए किसी प्रकार की सूचना नहीं करने से नए सत्र में प्रवेश पाने वालों को निराश होना पड़ रहा है। प्रवेश पाने वाले प्रतीक्षारत छात्र-छात्राओं का कहना है कि पढ़ाई के लिए स्थान की व्यवस्था करना प्रबंधन का कार्य है। अगर इस वर्ष स्नातक स्तर पर नामांकन नहीं हुआ तो उनका केविवि में पढ़ने का सपना अधूरा रह जाएगा।