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तीस वर्ष बाद भी नहीं हो सका अनुमंडलीय अस्पताल का सपना साकार

पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल अनुमंडल की स्थापना 1990 में हुई थी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 Mar 2019 06:38 AM (IST)Updated: Sun, 31 Mar 2019 06:38 AM (IST)
तीस वर्ष बाद भी नहीं हो सका अनुमंडलीय अस्पताल का सपना साकार
तीस वर्ष बाद भी नहीं हो सका अनुमंडलीय अस्पताल का सपना साकार

मोतिहारी। पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल अनुमंडल की स्थापना 1990 में हुई थी। तभी से अनुमंडलवासियों को अपने क्षेत्र में मिलने वाली सुविधाओं के प्रति आस जग चुकी थी। लेकिन, तीस वर्ष बीत बाद भी खासकर स्वास्थ्य के क्षेत्र में कुछ खास नहीं हो सका। बेहतर सुविधाओं के साथ-साथ अन्य कई महत्वपूर्ण सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इलाज के लिए पड़ोसी देश नेपाल या फिर राज्य के अन्य जिलों में जाना पड़ता है। इस अनुमंडल की आबादी करीब दस लाख है। रक्सौल और नरकटिया विधान सभा क्षेत्र के आदापुर, रामगढ़वा व छौड़ादानो प्रखंड इसके अंतर्गत आते हैं। इतना ही नहीं अंतरराष्ट्रीय महत्व के शहर रक्सौल में भी सीटीस्कैन आदि जैसी कई महत्वपूर्ण सेवाएं उपलब्ध नहीं है। जनप्रतिनिधियों ने भी नहीं दिया ध्यान अनुमंडल की स्थापना के समय यह क्षेत्र बेतिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत था। तब यहां के सांसद 1989 में जनता दल से धर्मेश प्रसाद वर्मा थे। इसके बाद जनता दल से ही 1991 में फैयाजुल आजम निर्वाचित हुए थे । इसके बाद यहां से भाजपा के डॉ. मदन प्रसाद जायसवाल 1996 से लेकर 1999 तक के चुनाव में तीन-तीन बार जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। इसी बीच 2008 में इसका परिसिमन के दौरान इस क्षेत्र का नाम पश्चिमी चंपारण लोकसभा क्षेत्र रखा गया। इससे पूर्व 2004 के चुनाव में राजद से रघुनाथ झा निर्वाचित घोषित हुए थे । फिर 2009 और 2014 में भाजपा से डॉ. मदन जायसवाल के पुत्र डॉ. संजय जायसवाल दो बार जीत दर्ज कर चुके है। फिर भी यहां की जनता को अनुमंडलीय अस्पताल का इंतजार है। कौन-कौन सी मिलने लगेंगी सुविधाएं पीएचसी को अनुमंडलीय अस्पताल में अपग्रेड होते ही चिकित्सकों की संख्या, बच्चे का आइसीयू, सीजेरियन आपरेशन, मरीजों को भर्ती करने के संसाधन, भवन आदि की सुविधा मिलने लगेगी। जिससे की करीब दस लाख की आबादी वाले इस अनुमंडल के लोगों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए नेपाल व अन्य जिलों में नहीं जाना पड़ेगा।

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