केविवि के भूमि अधिग्रहण में फंसा तकनीकी पेच
मोतिहारी। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए भूमि अधिग्रहण के मामले में एक बार फिर तकनीकी
मोतिहारी। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए भूमि अधिग्रहण के मामले में एक बार फिर तकनीकी पेच में फंस गया है। दूसरे चरण में फुर्सतपुर में होने वाले 103 एकड़ भूमि अधिग्रहण के मामले में विभाग ने सरकार व बेतिया राज को पत्र भेजकर मार्गदर्शन मांगा है। बताया गया कि अधिग्रहण के क्रम में कुछ तकनीकी ¨बदुओं पर विभाग से दिशा-निर्देश की मांग की गई है। सरकारी स्तर पर दिशा-निर्देश प्राप्त होने के बाद भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई प्रारंभ की जाएगी। बता दें कि विभागीय स्तर पर बनकट में इससे पूर्व 32 एकड़ भूमि का अधिग्रहण करने के बाद केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रबंधन को सौंप दिया है। दूसरे चरण में फुर्सतपुर में 103 एकड़ भूमि के अधिग्रहण का कार्य प्रगति पर है। भूमि के कागजात को लेकर कुछ गड़बड़ी सामने आने के बाद में विभागीय स्तर पर इसकी पड़ताल कराई जा रही है। खतियान में गैरमजरूआ भूमि होने की बात आई सामने फुर्सतपुर में भूमि को लेकर कुछ बातें सामने आई है, जिसमें खतियान में भूमि का प्रकार गैरमजरूआ है। वहीं कुछ लोगों ने डीडी के अधार पर इस भूमि को रैयती होने का दावा प्रस्तुत किया है। उनके नाम से वर्षों से भूमि का लगान भी कट रहा है। विभागीय स्तर पर इस संबंध में मार्गदर्शन मांग गया है कि क्या दावा करने वालों को भुगतान किया जा सकता है। अगर विभाग ने सहमति दे दी तो संबंधित लोगों को भुगतान कर अधिग्रहण की कार्रवाई पूरी की जाएगी। इधर विभाग ने बेतिया राज को भी पत्र भेजकर कहा है कि उनके स्तर से भी यह स्पष्ट किया जाए कि चयनित 103 एकड़ भूमि में उनकी जमीन है या नहीं। अभी तक सरकार व बेतिया राज की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। अधर में लटका है केविवि के भवन निर्माण का मामला महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के भवन निर्माण का मामला भूमि के अभाव में लटका है। पहले चरण में 32 एकड़ भूमि दी गई है, पर केंद्रीय विश्वविद्यालय के भवन निर्माण को लेकर मास्टर प्लान बनाने में कम से कम 150 एकड़ भूमि का होना आवश्यक है। विश्वविद्यालय प्रबंधन भी भूमि को लेकर प्रतीक्षारत है। बताया गया कि दूसरे चरण के भूमि अधिग्रहण पूरा होने के बाद केविवि के भवन निर्माण की दिशा में कार्य प्रारंभ होगा।