सोलह हजार नये पौधे लगाने का लक्ष्य
मोतिहारी । चिरैया के पटखौलिया गांव निवासी किसान नन्दकिशोर सिंह पर्यावरण संरक्षण व सुरक्षा
मोतिहारी । चिरैया के पटखौलिया गांव निवासी किसान नन्दकिशोर सिंह पर्यावरण संरक्षण व सुरक्षा के लिए निरंतर प्रयत्नशील हैं। वर्ष 2014 से वे अब तक 84 हजार केले के पौधे लगा चुके हैं। इस पर्यावरण वर्ष में इनका लक्ष्य सोलह हजार नये पौधे लगाने का है, ताकि वे एक लाख पौधे के जनक कहे जा सके। उन्होंने अपना संकल्प व्यक्त करते हुए बताया कि लोगों को अधिक से अधिक पौधे लगाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत सारी जमीन बंजर है,वहां पौधे लगाने की कोशिश की जा रही है। केला, पपीता, लीची और आम जैसे फलदार पौधे लगाने पर •ा्यादा जोर दिया जा रहा है, जिससे आíथक स्थिति सु²ढ हो। इससे वर्षा समय पर होगी जिससे पर्यावरण को भी लाभ होगा। उन्होंने बताया कि चंपारण हमेशा से ऐतिहासिक रहा है और यह हमेशा आगे बढ़े यही हमारा लक्ष्य है। पौधरोपण से आय के स्त्रोत बढ़ रहे हैं। सरकारी स्कूलों में केशव बनाएंगे चंपा के पौधों की वाटिका
जिस प्रकार ग्रेटा थूनवर्ग ने विश्व स्तर पर पर्यावरण सरंक्षण के लिए स्कूली बच्चों के साथ विश्व के ख्याति प्राप्त लोगो की ध्यान आकर्षित करने का काम किया ठीक उसी प्रकार चंपारण के केशव कृष्णा पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। पिछले पांच सालों से पर्यावरण सरंक्षण का कार्य करते हुए खुद लगभग 20 हजार से अधिक पौधे लगाये हैं। इनमें अधिकतर चम्पा के पौधे हैं। इनका कहना है कि चम्पा के पौधे में अनेक गुण है जैसे चम्पा के पौधे से ही चंपारण का नाम पड़ा। इसके फूल पर अन्य की अपेक्षा कम तितलियां बैठती है और फूल जूठा नहीं होता है, जिससे लोग इसे देवताओं पर चढ़ाना पसन्द करते हैं। इसकी छाल को पीसकर लगाने से दर्दो में राहत मिलती है। इनका मानना है कि अगले पर्यावरण दिवस आने से पहले चंपारण के हरेक विद्यालय व महाविद्यालय में कम से कम सात-सात चम्पा के पौधे लगाए जाएंगे जिसे चम्पा वाटिका कहा जाएगा। अगर सरकारी सहायता मिलती है तो 05 जून 2021 से पहले 50 हजार पौधे लगाए जाएंगे जिसमें सभी प्रकार के पेड़-पौधे शामिल होंगे। अन्यथा यह संख्या 20 हजार तक अवश्य पहुंच जाएंगी । एक साल में पांच हजार से अधिक पौधे लगाने का लक्ष्य
शहर के बलुआ टाल निवासी आलोक दत्ता 1985 से पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में पौधरोपण व जल संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक कर काम कर रहे हैं। आलोक बताते हैं कि जरूरी है कि लोग ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएं। नहीं तो आने वाली पीढ़ी हमे कभी माफ नही कर पाएगी। उन्होंने अपने स्तर से कम से कम 5000 अधिक पौधे लगाए हैं। इसके अलावा वे जहां भी जाते हैं लोगो को जल संरक्षण करने के लिए भी जागरूक करते हैं। अगले साल तक इसकी संख्या दोगुनी करनी है।