दीपावली के उत्साह में पर्यावरण का भी रखें ख्याल
दिवाली बेशक खुशियों का त्योहार है। सभी उत्साह के साथ इसे मनाते हैं। मगर इस खुशी एवं उत्साह में हम यह भूल जाते हैं कि हमारी छोटी-सी गलती पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है।
मोतिहारी । दिवाली बेशक खुशियों का त्योहार है। सभी उत्साह के साथ इसे मनाते हैं। मगर इस खुशी एवं उत्साह में हम यह भूल जाते हैं कि हमारी छोटी-सी गलती पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। दीपावली के दिन बड़े पैमाने पर की जाने वाली आतिशबाजी खुद हमारे लिए कितना नुकसानदेह है, हमें इसकी चिता नहीं होती। उत्साह में इस तरह के हम ऐसे कई इस काम करते हैं जो पर्यावरण के लिए अनुकूल नहीं है। इस मुद्दे पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने लोगों से इको फ्रेंडली दिवाली मनाने की अपील की है। कहा है कि हम अपने इस त्योहार को उत्साह के साथ जरूर मनाएं, मगर पर्यावरण को होने वाले नुकसान का भी ध्यान रखें। इस मुद्दे पर अभाविप के कई सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किए।
चकिया की नगर मंत्री स्वेता सिंह ने कहा कि दीपावली को प्रदूषणमुक्त बनाना समय की आवश्यकता है। हम इस त्योहार को प्रदूषणमुक्त बनाएं। यह सबके लिए हितकारी होगा। दिवाली के उत्साह में अक्सर हम इन बातों को भूल जाते हैं। पटाखे फोड़कर हम वातावरण में भारी मात्रा में जहरीली गैस छोड़ देते हैं। इससे बचना होगा। एमएस कॉलेज छात्रसंघ प्रतिनिधि उजाला कुमार ने कहा कि एलईडी लाइट का इस्तेमाल भी इको फ्रेंडली दिवाली मनाने की दिशा में एक अच्छा कदम है। इससे बिजली की खपत भी कम होगी। दिवाली के त्योहार के लिए आप एलईडी स्ट्रिप भी घर ला सकते हैं। यह पर्यावरण के अनुकूल है। पटाखों का यथासंभव कम प्रयोग करें।
जिला संयोजक राजन सिंह का मानना है कि हमें ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जो पर्यावरण के लिए नुकसानदेह हो। भारी मात्रा में आतिशबाजी कर हम वातावरण को प्रदूषित करते हैं। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। केरोसिन के दीये से भी परहेज करनी चाहिए। हम घी या सरसो तेल के दीये प्रज्वलित कर सकते हैं।
मोतिहारी नगर मंत्री दिव्यांशु मिश्रा ने कहा कि दिवाली के अवसर पर बाजार में ऐसी चीजों की भरमार होती है, जो पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है। सजावट के लिए प्लास्टिक व पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले अन्य मैटेरियल से बनी चीजें मिलती हैं। इनकी जगह इको फ्रेंडली मैटेरियल जैसे पेपर क्रॉफ्ट, बांस, मड आदि से बनी चीजों को प्रयोग करें।
बिहार प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य प्रियेश गौतम का कहना है कि दिवाली में लोगों का घर मिठाईयों सहित अन्य खाने-पीने की चीजों से भर जाता है। इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि इसका नुकसान न हो। इससे भी पर्यावरण को क्षति पहुंचती है। खाद्य पदार्थो की बर्बादी से अच्छा है कि गरीबों के बीच इन चीजों का वितरण करें। इससे आपको खुशी मिलेगी।
मोतिहारी नगर सह मंत्री अभिषेक आर्यन ने कहा कि हमारी परंपरा के अनुसार मिट्टी के दीये से अच्छा कुछ भी नहीं है। मगर हम इसके स्थान पर वैसी चीजों का प्रयोग कर रहे हैं जो पर्यावरण के लिए हितकर नहीं है। मिट्टी के दीयों का प्रयोग कर हम उन कारीगरों की भी मदद करते हैं, जो इन्हें बनाने का काम करते हैं।