Move to Jagran APP

स्तूप भी बना गवाह, 'हदों' को लांघ गई गंडक

मोतिहारी । गंडक आमतौर पर अपनी हदों में रहती आई है। मगर लंबे समय बाद उसने अपनी हदों क

By JagranEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 10:55 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 10:55 PM (IST)
स्तूप भी बना गवाह, 'हदों' को लांघ गई गंडक
स्तूप भी बना गवाह, 'हदों' को लांघ गई गंडक

मोतिहारी । गंडक आमतौर पर अपनी हदों में रहती आई है। मगर लंबे समय बाद उसने अपनी हदों का अतिक्रमण किया है। पहले तो नदी के उफान ने तटवर्ती गांवों को तहस-नहस किया। फिर बाद में चंपारण तटबंध के रूप में अपनी हद को लांघने से भी परहेज नहीं किया। इसके साथ ही संग्रामपुर में तबाही मचाते हुए नदी के पानी ने केसरिया प्रखंड में भी तांडव करना शुरू कर दिया है। प्रखंड के विभिन्न हिस्सों में फैला यह पानी गंडक नदी का ही है, जो संग्रामपुर के पास तटबंध को तोड़कर कर अलग-अलग रास्ते से होते हुए केसरिया प्रखंड में फैल गया। बदहाली की इस स्थिति में रिकार्ड तोड़ बारिश ने जले पर नमक छिड़कने जैसा काम कर दिया। परिणाम यह हुआ कि उस इतिहास को समय एक बार फिर दोहराने लगा है, जब आज से करीब डेढ़ दसक पहले केसरिया का हाल बरसात में हुआ करता था। प्रखंड के ज्यादातर हिस्से जलमग्न हो जाया करते थे। एक बार फिर केसरिया का बौद्ध स्तूप समंदर के बीच खड़ा नजर आ रहा है। उसके बगल से होकर गुजर रही स्टेट हाइवे 74 की सड़क भी जलमग्न हो गई है। आवागमन प्रभावित है। पर्यटकों के ठहराव के लेएि बना पर्यटक भवन भी पानी के बीच बेबस-सा खड़ा नजर आ रहा है। वहा तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है। हालांकि वह भवन अभी ऑपरेशनल नहीं है। और कई तरह की समस्याएं हैं। लेकिन पानी इस बार सभी समस्याओं को पीछे ढकलते हुए अपनी श्रेष्ठता को सिद्ध करने पर तूला है। नई पीढ़ी के लिए यह बाढ़ कौतूहल का विषय है। युवकों व किशोरों की टोली इस ²श्य को देखने के लिए स्तूप के समीप उमड़ रही है। पानी से होकर गुजर रहे बड़े वाहनों को देखने में भी उन्हें कुछ आनंद-सा मिल रहा है। चंवर और सरेह मैँ फैला समंदर-सा नजारा इस बात की गवाही दे रहा कि फसलें डूब चुकी हैं। अब कुछ भी उम्मीद बाकी नहीँ है। केसरिया प्रखंड के ज्यादातर हिस्सों में ऐसी ही स्थिति है। चंपारण तटबंध के अंदर नदी की ओर के गांव अभी संभल भी नहीं पाए थे कि उसी नदी ने शेष हिस्से में तबाही फैलाने के लिए एक रास्ता चुन लिया। तबाही भी ऐसी फैली है कि लोग उन दिनों को याद कर रहे हैं जिसे अब इतिहास कहा जाने लगा था। आखिर इस स्थिति से निजात कब और कैसे मिलेगी इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.