बिना फिटनेस सड़कों पर दौड़ रहे वाहन बन रहे हादसों की वजह
मोतिहारी। जिले की सड़कों पर आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। इन दुर्घटनाओं के यूं तो
मोतिहारी। जिले की सड़कों पर आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। इन दुर्घटनाओं के यूं तो कई कारण हैं, लेकिन इसमें एक वजह का उल्लेख विशेष रूप से किया जा सकता है, वह है वाहनों की फिटनेस का। इस मामले में परिवहन विभाग और यातायात पुलिस का सारा ध्यान सिर्फ और सिर्फ कमर्शियल वाहनों पर होता है। जबकि शहर की सड़कों पर हजारों ऑटो, कार, बस, बाइक, स्कूटर और रिक्शा ऐसे चलते हैं, जिनकी स्थिति काफी जर्जर है। ऐसे वाहनों के कारण लोगों का जीवन हमेशा जोखिम में रहता है। प्रशासन के पास ऐसे वाहनों को सड़क पर उतरने से रोकने के लिए कोई ठोस प्रबंध नहीं है और न ही किसी को इनकी परवाह है। ऐसे ही वाहनों के कारण शहर की आबोहवा खराब हो रही है। परिवहन के क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि बिना फिटनेस के हजारों वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं। शहर के विभिन्न स्कूलों में लगे कुछ ऑटो व वैन ऐसे हैं जो फिट नहीं हैं। वह 10 से 15 साल से भी अधिक पुराने हैं। इस प्रकार के वाहन किसी भी समय दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। जर्जर वाहनों के कारण देश भर में हर साल हजारों दुर्घटनाएं होती हैं। शहर से लेकर गांव तक ऐसे वाहनों की संख्या अधिक हैं। हजारों ऐसे वाहनों को देखा जा सकता है जो जिनमें फॉग लाइट, हेड लाइट, बैक लाइट, पार्किग लाइट, कलर रिफ्लेक्टर जैसी सुविधाएं काफी औसत दर्जे की होती हैं, जिससे यह दुर्घटनाओं के वाहन बनते रहते हैं। इन्हें चलाने वाले अधिकतर लोगों के पास ड्राइविग लाइसेंस और कागजात तक नहीं होते। जिले में वाहनों के फिटनेस की व्यवस्था काफी खराब है। कमर्शियल वाहनों के फिटनेस की जांच की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। जांच यहां महज औपचारिकता है। जुगाड़ वाहन व सड़क के किनारे वाहनों को लगाना साबित हो रहा खतरनाक जिले में हाल के कुछ वर्षों में जुगाड़ वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इस प्रकार के वाहनों का न तो निबंधन का प्रावधान है और न चालक को चलाने के लिए लाइसेंस। सरकारी स्तर पर इस प्रकार के वाहन किसी श्रेणी में नहीं आता है। इस प्रकार के वाहनों के परिचालन पर रोक लगाने के लिए विभागीय स्तर पर कोई गंभीरता नहीं दिखाई जाती है। दूसरी तरफ सड़क के किनारे वाहनों को बिना वजह लगाने से भी सड़क हादसे होते हैं। खासकर कोहरे की वजह से इस प्रकार से खड़े वाहन हादसे की वजह बनते हैं। फिटनेस की व्यवस्था जिले में है लचर बड़े कमर्शियल वाहनों की फिटनेस को लेकर तो यहां सख्ती दिखती है, लेकिन अन्य वाहनों के फिटनेस की स्थिति खराब है। ऐसे जर्जर वाहन सड़कों पर दौड़ते हैं जिनके कारण बड़ी दुर्घटनाएं होती है।
शोभा सिंह, अध्यक्ष ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन संघ शहर की सड़कों पर दौड़ने वाले काफी वाहन जर्जर हैं। उनमें फॉग लाइट, हेड लाइट, बैक लाइट, पार्किग लाइट व कलर रिफ्लेक्टर जैसी सुविधाएं नहीं हैं। विभाग व यातायात पुलिस का सारा ध्यान ऑटो व कमर्सियल वाहनों पर होता है। कार, बाइक, ऑटो, स्कूटर, ट्रैक्टर-ट्रॉली और रिक्शा जैसे वाहनों पर कोई ध्यान नहीं देता।
शकील राजा, जिलाध्यक्ष ई-रिक्शा ऑटो संघ
============== पाठकों ने व्यवस्था को ठीक करने के लिए दी सलाह वाहन चलाने वालों के पास अनिवार्य रूप से ड्राइविग लाइसेंस होना चाहिए। इसकी नियमित जांच जरूरी है। अगर सड़क पर चलने वाले सारे यात्री यातायात नियमों का अच्छे ढंग से पालन करे तो दुर्घटना को कम किया जा सकता है। नाबालिक ड्राइवर सड़कों पर दोपहिया वाहन एवं ऑटो रिक्शा के अधिकतम ड्राइवर नाबालिग है जिनके पास ड्राइविग लाइसेंस नहीं है और ये हमेशा दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं।
अमित कुमार पीपरा
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ड्राइवरों के लिए आचार संहिता का निर्माण-वाहन चालकों के लिए एक आदर्श आचार संहिता बनाई जाए, जिसमें उनके लगातार वाहन चलाने, आराम करने, सोने, आंखों की जांच, दवाएं व शराब इत्यादि से संबंधित स्पष्ट दिशा-निर्देश हो। ऐसी आचार संहिता बनाकर उसे लागू किया जाए।
रविकांत पांडेय, अभाविप छात्र नेता बिहार सभी व्यावसायिक वाहनों में आगे की ओर रिकॉर्डिंग की सुविधा से युक्त एक कैमरा लगा होना चाहिए, जिसका मुख्य वाहन चालक की सीट की ओर हो और उक्त कैमरे को ब्लैक-बॉक्स की सुविधा प्रदान करने वाले यंत्र से संबद्ध किया जाना चाहिए। ऐसे कैमरे दुर्घटना के कारणों का पता लगाने में अत्यन्त सहायक सिद्ध होंगे।
शिवकांत शिबलू, बारा चकिया पूर्वी चंपारण नोट: पाठक अपने विचार व्हा्टसएप नंबर 7004273855 पर दे सकते हैं।
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