श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आज, तैयारी पूरी
मोतिहारी । दो सितंबर रविवार की अर्धरात्रि में अष्टमी एवं रोहिणी नक्षत्र का योग है। इस कारण उक्त तिथि
मोतिहारी । दो सितंबर रविवार की अर्धरात्रि में अष्टमी एवं रोहिणी नक्षत्र का योग है। इस कारण उक्त तिथि को जयंती का योग बनता है, जिसमें श्रीकृष्ण जन्मोत्सव तथा जन्माष्टमी का व्रत समस्त गृहस्थों के लिए फलदायी होगा। वहीं, उदया तिथि अष्टमी एवं उदय कालिक रोहिणी नक्षत्र को मानने वाले वैष्णव तीन सितंबर को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाएंगे। उक्त बातें ज्योतिषाचार्य पंडित सत्यदेव मिश्र ने कही। उन्होंने बताया कि विष्णु धर्मोत्तरे के अनुसार रोहिण्यामर्द्धरात्रे तु सदा कृष्णाष्टमी भवेत।
श्री मिश्र ने बताया कि भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि जब रोहिणी नक्षत्र से संयुक्त होती है तो उसे कृष्ण जयंती के नाम से जाना जाता है। वहीं, विष्णु धर्मोत्तर पुराण के अनुसार अर्धरात्रि में अष्टमी तिथि के रोहिणी नक्षत्र से युक्त होने पर बालरूपी चतुर्भुज श्रीकृष्ण का अवतरण हुआ था। अत: भाद्रपद कृष्णपक्ष में जब रोहिणी नक्षत्र से युक्त अष्टमी तिथि अर्धरात्रि में दृश्य होती है तो वह जन्माष्टमी का मुख्य काल होता है, तथा कृष्णपक्ष की अष्टमी जब भी रोहिणी नक्षत्र से युक्त होती है तो उसे जयंती कहते हैं। इस तिथि में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना से तीन जन्मों के पापों का नाश हो जाता है और भक्त को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि इस धरा पर भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण प्रेम, ज्ञान, कर्म और योग का विशेष संदेश लेकर हुआ था। इस दिन जो घटना घटित हुई वह अपने आप में विशेष मुहूर्त्त बन गया। इस रात्रि को संकल्प कर कोई भी साधना की जाए तो वह पूर्ण सफल होती है, क्योंकि श्रीकृष्ण ने जीवन की सारी क्रियाएं एक मानव की भांति करते हुए हर कार्य में संघर्ष किया और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त की। उन्होंने अपने जीवन की क्रियाओं द्वारा ही आने वाले युग को संदेश दिया, इसलिए श्रीकृष्ण पूर्ण पुरुष योगेश्वर हैं। उनकी उपासना करने वाला कोई भी भक्त अपूर्ण रह ही नहीं सकता।