कोर्ट परिसर में गोली चलने से सुरक्षा पर सवाल
मोतिहारी। पहले ऊंची-ऊंची चारदीवारी फिर प्रत्येक गेट पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती बावजूद इसके न्यायालय परिसर सुरक्षित नहीं है।
मोतिहारी। पहले ऊंची-ऊंची चारदीवारी फिर प्रत्येक गेट पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती, बावजूद इसके न्यायालय परिसर सुरक्षित नहीं है। सोमवार को दिनदहाड़े एक फरार कैदी द्वारा गोली चलाए जाने की घटना न्यायालय परिसर की सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है। सुरक्षा में चूक का ही नतीजा रहा कि फरार बंदी ने गोली चलाई जिसमें वह खुद गंभीर रूप से घायल हो गया। ऐसी बात नहीं है कि न्यायालय परिसर में कोई पहली बार गोली चली है इसके पहले भी कई बार गोली चली है और कई बदमाश व अन्य लोग मारे भी गये हैं। बावजूद इसके इन घटनाओं से प्रशासन कोई सबक नहीं ले रहा है। न्यायालय परिसर में चली गोली से जिले के शातिर बदमाश छोटेलाल सहनी की हत्या की जा चुकी है। इसके अतिरिक्त कई बदमाश गोली लगने से घायल भी हुए। आश्चर्य की बात की जब-जब ऐसी घटनाएं होती है प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने का दावा करता है। मगर, घटना के कुछ दिनों बाद तक सुरक्षा कड़ी रहती है और समय के अनुसार सुरक्षा व्यवस्था में ढील दी जाने लगती है, जिसका लाभ अवांछित तत्व उठाने की कोशिश में कामयाब हो जाते हैं।
न्यायालय परिसर में कब किसका बहा खून : एक नजर में
- 1993 में न्यायालय परिसर में बम विस्फोट से एक की मौत
- 1996 में न्यायालय परिसर में पेशी के लिए आए सत्येन्द्रमणि त्रिपाठी पर हमला
- 1988 में न्यायालय परिसर में नक्सली बंदी हरेन्द्र सिंह पर चली गोली, बंदी जख्मी
- 1994 में न्यायालय परिसर में देवेन्द्र दुबे पर हमला
- 2007 में न्यायालय परिसर में छोटेलाल सहनी की हत्या
- 2018 में सिकरहना के ढाका न्यायालय परिसर में अभिषेक झा पर हमला
न्यायालय परिसर की सुरक्षा में लगे 40 अधिकारी व जवान
मोतिहारी : न्यायालय की सुरक्षा में फिलहाल 40 अधिकारी व जवान लगाए गए हैं। इसमें दस पदाधिकारी, दस महिला व दस पुरूष जवान के अलावा नाका चार के भी जवान तैनात किए गए हैं। इन सभी सुरक्षाकर्मियों के जिम्मे पांच मुख्य द्वार से लेकर पूरे न्यायालय परिसर की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी है। इन जवानों को सुरक्षा देने के लिए पांच मेटल डिटेक्टर के अलावा चार हैंड डिटेक्टर भी दिया गया है। न्यायालय की सुरक्षा में लगे अधिकारी महम्मद मोजिल व अशोक कुमार पाण्डेय ने बताया है कि न्यायालय आने-जानेवाले सभी लोगों की जांच करने के बाद ही परिसर में जाने की इजाजत दी जाती है। आज भी जांच की गई मगर भीड़ का लाभ उठाकर बदमाश न्यायालय परिसर में बिना जांच कराये प्रवेश कर गया।
2018 में गंगा सहनी की हत्या मामले में हुआ था गिरफ्तार
मुफसिस्ल थाना क्षेत्र के भटहां गांव निवासी गंगा सहनी की हत्या के बाद गोविन्दा सहनी की गिरफ्तारी एक पिस्टल व कारतूस के साथ हुई थी। उसे केन्द्रीय कारा भेजा गया था। सात माह कारा में रहने के बाद षडयंत्र के तहत उसने अपना उम्र कम करा लिया और इस आधार पर बाल सुधार गृह में आ गया था। उसे गृहरक्षक जयकिशोर सिंह व सुरेन्द्र बैठा उम्र के सत्यापन के लिए एसीजीएम के न्यायालय में पेशी कराकर लौट रहे थे तो उसी दौरान उसने मस्जिद के पास दिनदहाडे हथियार का भय दिखाकर अपने साथियों के साथ भाग निकला था।
भाई ने विरोधियों पर लगाया गोली मारने का आरोप
गोविंदा के भाई अवधेश सहनी का बयान गोविदा से मेल नहीं खा रहा है। गोविदा के भाई ने बताया कि उसका भाई न्यायालय में हाजिर होने के लिए अधिवक्ता से सलाह लेने गया था। इसी दौरान उसके ग्रामीण बालदेव सहनी, सोनालाल सहनी व जितेन्द्र सहनी ने उसे गोली मार दी। इस बीच जख्मी बंदी गोविंदा सहनी ने पुलिस को बताया कि वह न्यायालय में अधिवक्ता से सलाह लेने गया था। उसी दौरान उसके पास रखे हथियार से फायरिग हो गई, जिसके कारण वह खुद जख्मी हो गया। गोली उसे स्वयं के रखे हथियार से लगी है।
बयान
गाविंदा सहनी से पूछताछ के बाद बहुत बड़ा खुलासा हो सकता है। उससे पूछताछ की जा रही है। नगर थाना के पुलिस निरीक्षक अभय कुमार व छतौनी के मुकेश चन्द्र कुमर उससे लगातार पूछताछ कर रहे हैं। उसकी निशानदेही पर लगातार छापेमारी भी की जा रही है।
उपेंद्र कुमार शर्मा
पुलिस अधीक्षक मोतिहारी
न्यायालय में आज टुन्ना सिंह व राहुल सिंह की भी थी पेशी
न्यायालय सूत्रों पर भरोसा करें तो उनका कहना है कि सोमवार को कारा में बंद शातिर बदमाशों में शामिल टुन्ना सिंह व राहुल सिंह की भी आज ही पेशी थी। दोनों को न्यायलय में पेशी के लिए लाया गया था। सूत्रों ने आशंका जताई है कि कहीं बदमाश गोविदा इन्हें हीं मारने के लिए तो नहीं आया था? पुलिस का मानना है कि शातिर बदमाश गोविदा छोटेलाल सहनी की हत्या का बदला लेने या फिर अपराध जगत में अपना साम्राज्य स्थापित करने के लिए ही कही दोनों को मारने तो नहीं आया था? हालांकि, पुलिस इस मुद्दे पर कुछ खुलकर नहीं बोल रही है मगर गोविदा से पूछताछ में इस एंगल पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। न्यायालय परिसर में लगे सीसटीटीवी कैमरे के फुटेज से इस बात का खुलासा हो सकता है। पुलिस इसकी मदद ले रही है। गोविन्दा अकेले आया था कोई और उसके साथ था। या फिर न्यायालय आने के बाद उसकी गतिविधियां कैसी रही इसकी भी पड़ताल की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि गोविदा के साथ एक और बदमाश था? वह बदमाश कौन था उसकी पहचान की जा रही है। घटना के बाद जिला व सत्र न्यायधीश, मुख्यालय डीएसपी शैशव यादव, दारोगा संदीप कुमार, अरूण कुमार ओझा, आरके सिंह भी पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे कर मामले की जांच की।