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केंद्रीय विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की कम की गई फीस

मोतिहारी । महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अर¨वद अग्रवाल ने कहा कि भारत सरकार के

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Jun 2018 04:44 PM (IST)Updated: Sat, 09 Jun 2018 04:44 PM (IST)
केंद्रीय विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की कम की गई फीस
केंद्रीय विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की कम की गई फीस

मोतिहारी । महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अर¨वद अग्रवाल ने कहा कि भारत सरकार के नियमों के प्रति वे प्रतिबद्ध हैं। वे यहां विश्वविद्यालय के निर्माण के साथ बच्चों को बेहतर राह दिखाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। विद्यार्थियों की मांग के आलोक में शुल्क में कमी की गई है।

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पिछले 26 नवंबर से विद्यार्थियों की तरफ से शुल्क कम करने की मांग की जा रही थी। एक तरफ सरकार की तरफ से धीरे-धीरे शुल्क वृद्धि का निर्देश है। इसके बवजूद यहां के बिद्यार्थियों के हित में विश्वविद्यालय ने शुल्क में 13 से 26 फीसद तक कटौती कर उन्हें राहत दी है। कुलपति के साथ उपस्थित उनके प्रशासनिक सहयोगी प्रो. आशुतोष प्रधान ने घटे हुए शुल्क के बारे में विस्तार से जानकारी दी। प्रो. अग्रवाल ने केविवि के एमबीए के अंतिम सत्र के विद्यार्थियों के संबंध में बताया कि इस पाठ्यक्रम के अधिकतर छात्रों का प्लेसमेंट हो चुका है। कई ऐसे विद्यार्थी हैं जिनके पास दो से तीन नौकरियों के ऑफर हैं। विवि. में चल रहे बीटेक के पाठ्यक्रम की गुणवत्ता का हवाला देते हुए कहा कि तुलनात्मक रूप से देखें तो हमारे कोर्स का शुल्क पूरे ¨हदुस्तान में सबसे कम है। कम शुल्क लेकर कक्षाएं न कराने वाले कुछ संस्थानों को उन्होंने अपवाद बताया। विश्वविद्यालय की वर्तमान स्थिति के संबंध में सवालों के जवाब में कहा कि मेरी प्रतिबद्धता भारत सरकार के नियमों के प्रति है। मैं विश्वविद्यालय को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाना चाहता हूं।

वर्तमान में विश्वविद्यालय में एक अध्यापक के एनओसी के सवाल पर कहा कि क्या कुलपति होने के नाते शिक्षक गलत करता है तो स्पष्टीकरण भी नहीं मांग सकते। यह नियम के अनुसार अनका अधिकार है। भारत सरकार का आदेश है कि कुलपति की अनुमति के बिना कोई स्थाई अध्यापक किसी प्रतियोगी परीक्षा में नहीं बैठ सकता। ऐसा प्रकरण मेरे सामने आया तो मैंने नियमत: कारण बताओ नोटिस दिया। मेरे खिलाफ नारे लगाए जा रहे हैं। मुझे विद्यार्थियों व शिक्षकों से पूरी तरह सहानुभूति है। मेरे खिलाफ जो कुछ भी कहा जा रहा है उस संबंध में मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि अक्षमता, गंभीर वित्तीय अनियमितता या नियम विरुद्ध कार्यों की स्थिति में राष्ट्रपति द्वारा किसी भी कुलपति को हटाया जा सकता है। मैं इन तीनों ही स्थितियों में नहीं हूं। मेरे बारे में जो कुछ भी कहा या लिखा जा रहा है राष्ट्रपति महोदय उसे देखेंगे। मैं विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाने के लिए आया हूं। एनओसी प्रकरण में हमने संबंधित अध्यापक को मौका दिया कि वे उत्तर दें, हम उदारतापूर्वक इस मामले को हल करने का प्रयास करेंगे। लेकिन उनको सामने नहीं आने दिया गया। वर्तमान में वह चिकित्सकीय अवकाश पर हैं। इस पर मुझे कोई आपत्ति नहीं है। कहा कि संघर्ष करना ही है तो जमीन के लिए किया जाए, जिससे विश्वविद्यालय आगे बढ़े। विश्वविद्यालय में भर्ती के दौरान आरक्षण रोस्टर का पालन न करने के सवाल पर कहा कि इस संबंध में जो भी लोग आरोप लगा रहे हैं उन्हें नियमों की जानकारी नहीं है। हमने 77 दिनों में 70 भर्तियां की। एक साल तक इस मामले के विरुद्ध एक भी केस सामने नहीं आया। एक साल बाद भ्रामक सूचना के आधार पर केस किया गया। जिसका समुचित जवाब दिया गया। एससी-एसटी या किसी अन्य आरक्षित कोटे की सीट पर कोई योग्य व्यक्ति नहीं मिला तो उसे किसी सामान्य कोटे के व्यक्ति से भरने की बजाय खाली छोड़ दिया गया।


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