रक्षाबंधन का त्योहार आज, बाजार में रौनक
मोतिहारी भाई-बहन के आत्मीय प्रेम के बंधन का त्योहार रक्षाबंधन को लेकर बाजारों में खुब भीड़ रही। रक्षाबंधन के त्योहार को ले बाजारों में राखी मिठाई कपड़े आदि की दुकानों में सर्वाधिक भीड़ देखी गई।
मोतिहारी : भाई-बहन के आत्मीय प्रेम के बंधन का त्योहार रक्षाबंधन को लेकर बाजारों में खुब भीड़ रही। रक्षाबंधन के त्योहार को ले बाजारों में राखी, मिठाई, कपड़े आदि की दुकानों में सर्वाधिक भीड़ देखी गई। शहर के मीना बाजार, ज्ञानबाबू चौक, जानपुल चौक, बलुआ बाजार, उर्दू लाइब्रेरी चौक, छतौनी, स्टेशन चौक, चांदमारी चौक आदि जगहों पर बड़ी संख्या में राखी की दुकानें सजी दिखीं। वही मिठाई के दुकानों में भाईयों की मनपसंद मिठाई की खरीददारी के लिए बहनों की भीड़ रही। बहनों को रक्षाबंधन के दिन गिफ्ट देने के लिए उनकी पसंद को ध्यान में रखते हुए भाईयों द्वारा भी खरीददारी की गई। इस दौरान सर्वाधिक बिक्री चॉकलेट के फैमली पैक की रही। वहीं बाजार में भीड़ को देखते हुए यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप देने के लिए पुलिस के जवान भी चौकन्ने दिखे।
मिठाई की दुकानों पर भीड़
शहर के विभिन्न मिठाई की दुकानों में भी काफी भीड़ नजर आई। सर्वाधिक मांग विभिन्न किस्म के लड्डू एवं पेड़ों की रही। बहनें अपने भाईयों की मनपसंद मिठाई को लेकर भी उत्साहित थीं। वे खुद दुकानों से मिठाई लेने पहुंची थीं। कोई लड्डू तो कोई पेड़ों की खरीददारी करता दिखा। वहीं इन दुकानों पर रसगुल्ला, काला जामुन, परवल से बने मिठाई के साथ-साथ खोआ से बने मिठाई की भी खुब खरीददारी हुई।
मिठाई दाम
बेसन लड्डू 260
गोंद लड्डू 360
साही पिनी 500
बनारसी लड्डू 600
काजू 800
छेना मिठाई 360
परवल मिठाई 460
बेसन संगम 360
काला जामुन 300
काजू जलेबी 1200
फ्रुट लड्डू 1200
बहनों ने कहा : भाई की लंबी आयु की करेंगी कामना
आशिका मिश्रा ने कहा कि रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूत आधार देता है। श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाए जाने वाले इस त्योहार का ऐतिहासिक, सामाजिक, धार्मिक और राष्ट्रीय महत्व भी है। इस दिन बहन भाई की कलाई पर रेशम का धागा बांध उसके दीर्घायु जीवन एवं सुरक्षा की कामना करती हैं। बहन के इस स्नेह से बंधकर भाई उसकी रक्षा के लिए कृत संकल्पित होता है। हालांकि रक्षाबंधन की व्यापकता इससे कहीं ज्यादा है। राखी देश की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा, धर्म की रक्षा, हितों की रक्षा आदि के लिए भी बांधी जाने लगी है। रक्षा सूत्र सम्मान और आस्था प्रकट करने के लिए भी बांधा जाता है। रक्षाबंधन का महत्व आज के परिप्रेक्ष्य में इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि आज मूल्यों के क्षरण के कारण सामाजिकता सिमटती जा रही है और प्रेम व सम्मान की भावना में भी कमी आ रही है। यह पर्व आत्मीय बंधन को मजबूती प्रदान करने के साथ-साथ हमारे भीतर सामाजिकता का विकास करता है। इतना ही नहीं यह त्योहार परिवार, समाज, देश और विश्व के प्रति अपने कर्तव्यों के प्रति हमारी जागरूकता भी बढ़ाता है। ऐसी मान्यता है कि श्रावणी पूर्णिमा या संक्रांति तिथि को राखी बांधने से बुरे ग्रह कटते हैं। श्रावण की अधिष्ठात्री देवी द्वारा ग्रह दृष्टि-निवारण के लिए महर्षि दुर्वासा ने रक्षाबंधन का विधान किया।
नेहा कुमारी ने कहा कि रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा की चर्चा महाभारत से आती है। जहां भगवान कृष्ण को द्रौपदी द्वारा राखी बांधने की कहानी है। भगवान कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से चेदि नरेश शिशुपाल का वध कर दिया था। इस कारण उनकी अंगुली कट गई और उससे खून बहने लगा। यह देखकर विचलित हुई रानी द्रौपदी ने अपनी साड़ी का किनारा फाड़कर कृष्ण की कटी अंगुली पर बांध दी। कृष्ण ने इस पर द्रौपदी से वादा किया कि वे भी मुश्किल वक्त में द्रौपदी के काम आएंगे। पौराणिक विद्वान, भगवान कृष्ण और द्रौपदी के बीच घटित इसी प्रसंग से रक्षा बंधन के त्योहार की शुरुआत माना जाता है। कहा जाता है कि कुरुसभा में जब द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था, उस समय कृष्ण ने अपना वचन निभाया और द्रौपदी की लाज बचाई।