रक्षा बंधन भारत की संस्कृति तथा भाई-बहन के रिश्तों को स्मृति दिलानेवाला ईश्वरीय उपहार
जैसे-जैसे लोग आधुनिकता की ओर अग्रसर हो रहें है वैसे-वैसे आमलोग अनेक तरह के बंधनों से मुक्त होकर अपना जीवन व्यतीत करना चाहते हैं।
रक्सौल। जैसे-जैसे लोग आधुनिकता की ओर अग्रसर हो रहें है वैसे-वैसे आमलोग अनेक तरह के बंधनों से मुक्त होकर अपना जीवन व्यतीत करना चाहते हैं। वहीं दूसरी ओर रक्षा बंधन भाई-बहन के अमर पवित्र स्नेह का बंधन है कि हर कोई इसमें बंधकर अपने बहन की रक्षा का संकल्प लेता है और गौरान्वित होना चाहता हैं। ऐसे में सामान्य तौर पर बंधन दो तरह के होते हैं, एक शरीर का तो दूसरी आत्मा का बंधन। उक्त संदेश रविवार को स्थानीय बेलदारवा कैंप परिसर में पहुंची ब्रह्मकुमारी प्रजापति संस्था की संचालिका बहन पूर्णिमा ने एसएसबी जवानों व अधिकारियों के कलाई पर राखी बांधते हुए भावुक हृदय से कही। उन्होंने बताया कि वर्तमान परिवेश में भले ही मानव चांद पर पहुंच चुका है, परन्तु एक-दूसरे में मानवता की दूरियों को कम करने का एक मात्र उपाय अध्यात्म ही है। इसलिये रक्षा बंधन का पर्व भारत की संस्कृति तथा मानवीय मूल्यों को उजागर करने के अलावा भाई-बहन के रिश्तों की स्मृति दिलाने वाला ईश्वरीय उपहार है। इस अवसर पर एसएसबी के सहायक सेनानायक सत्यकाम तोमर ने राखी बांधने आयी सभी महिलाओं व बच्चियों के प्रति आभार जताते हुए सीमा की सुरक्षा में जुटे अपने जवानों के साथ भाई -बहन के रिश्तों की यादें को दुहराते हुए घर से दूर होकर भी अपनेपन का अहसास करते हुए सीमा के साथ साथ बहनों की सुरक्षा का संकल्प लिया। मौके पर मौजूद ग्राम स्वराज मंच के अध्यक्ष रमेश कुमार ¨सह, भाजपा अध्यक्ष शम्भू प्रसाद, एसआई प्रेमा ओगदी शेरपा, राजेश कुमार, रूपेश कुमार, किशन प्रसाद, शिवेंद्र ¨सह, नगेन्द्र गौर, अजित ¨सह आदि को संस्था के कमल देवी सहित अन्य सदस्यों के द्वारा राखी बांधकर पर्व को यादगार बनाया गया।