पूरे दिन करते हैं काम तब शाम को जलता है चूल्हा
सुगौली का छोटा बंगरा गांव कई मायनों में पिछड़ा है। मूलभत सुविधाओं का यहां अभाव है। जान हथेली पर लेकर नौनिहाल पढ़ने जाते हैं।
मोतिहारी । सुगौली का छोटा बंगरा गांव कई मायनों में पिछड़ा है। मूलभत सुविधाओं का यहां अभाव है। जान हथेली पर लेकर नौनिहाल पढ़ने जाते हैं। रेलवे लाइन के रास्ते स्कूल जाते बच्चे मिल गए। वार्ड में बेहतर शिक्षा का माहौल नहीं है। कच्चे फूस के घरों से होकर टूटी-फूटी सड़कों से गुजरकर गांव में दाखिल होने के बाद लगा कि यहां कुछ पक्के मकान भी बने हैं, पर इंदिरा व पीएम आवास का। घर को किसी प्रकार बनाकर लोग इसमें गुजर-बसर कर रहे हैं। करीब 1200 आबादी वाले इस गांव में 400 मतदाता हैं। 90 प्रतिशत परिवारों की रोजी-रोटी मजदूरी पर निर्भर है। बरसात के दिनों में घर से निकलना भी हो जाता है मुश्किल गांव में सड़क सबसे बड़ी समस्या है। नाली का अभाव है, जिसके कारण हमेशा जल-जमाव की स्थिति बनी रहती है। सबसे खराब स्थिति बरसात के दिनों में होती है। लोगों को घर से निकलना मुश्किल हो जाता है। शहर से सटे बंगरा गांव से महज आधा किलोमीटर की दूरी पर बसे इस गांव में आने जाने के लिए 3 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ता है। बंगरा गुमटी से एनएच होकर छपवा नहर की बांध वाली सड़क से होकर गांव में जाना पड़ता है। शुद्ध पेयजल, स्वास्थ्य उपकेंद्र समेत कई प्रकार की सुविधाएं यहां नहीं पहुंच सकी है। हर जगह लगाई गुहार, नहीं मिली सुविधाएं गांव में कुछ लोगों ने अपनी व्यथा सुनाई। नगीना पंडित, विन्देश्वरी राम, रामचंद्र पडित, शुभलाल राम, जोखू राम, फुलेना राम, राजेंद्र राम, जयलाल राम, अली हसन मियां, पिरमोहम्मद मियां, हरदेव पडित, मजीद मियां, शंभू राम, बुटाई राम, बाबुजान मियां, शमशेर मियां सहित कई लोगों ने एक स्वर में कहा कि हर जगह सुविधाओं के लिए गुहार लगाई, पर कोई सुनता नहीं है। रोजी- रोटी की मजबूरी और आर्थिक संकट के चलते उच्च शिक्षा बच्चे हासिल नहीं कर पाते हैं। गांव में करीब दो दर्जन मैट्रिक पास और दर्जनभर इंटर पास युवा हैं। प्राथमिक शिक्षा के लिए बच्चों को गांव से डेढ किलोमीटर की दूरी तय कर उत्क्रमित मध्य विद्यालय सरहरी जाना पड़ता है। बड़ी मुश्किल से जीवन कट रहा है।