रक्सौल अनुमंडल में बंद का रहा आंशिक असर
अनुमंडल में भारत बंद का आंशिक असर रहा। अनुमंडल के रक्सौल रामगढ़वा आदापुर छौड़ादानो प्रखंडों में कुछ देर के लिए बंद करने के लिए लोग सड़क पर आए। रक्सौल विधानसभा कांग्रेस प्रत्याशी रामबाबू यादव के नेतृत्व में संगठन के लोगों ने टायर जलाकर प्रदर्शन किया।
रक्सौल । अनुमंडल में भारत बंद का आंशिक असर रहा। अनुमंडल के रक्सौल, रामगढ़वा, आदापुर, छौड़ादानो प्रखंडों में कुछ देर के लिए बंद करने के लिए लोग सड़क पर आए। रक्सौल विधानसभा कांग्रेस प्रत्याशी रामबाबू यादव के नेतृत्व में संगठन के लोगों ने टायर जलाकर प्रदर्शन किया। सरकार की दमनकारी नीति के खिलाफ नारेबाजी किया। इससे करीब दो घंटे तक आवागमन प्रभावित रहा। हालांकि वाहनों का परिचालन होता रहा। सरकारी -गैरसरकारी प्रतिष्ठान खुले रहे। आंदोलनकारियों के तेवर को देखते हुए पुलिसकर्मी अलर्ट रहे। पुलिस गश्त लगाती रही। रेलवे स्टेशन,बस पड़ाव और सरकारी कार्यालयों के आसपास पुलिसकर्मी तैनात थे। थानाध्यक्ष शशिभूषण ठाकुर और हरैया ओपी प्रभारी गौतम कुमार सदल इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट और दिल्ली-काठमांडू को जोड़ने वाले मुख्य पथ पर आने- जाने वाले वाहनों की सुरक्षा व्यवस्था करते दिखे। रेल प्रशासन की मुस्तैदी से स्टेशन पर नहीं पहुंचे आंदोलनकारी
रक्सौल : आरआरबी के आयोजित की गई एनटीपीसी परीक्षा में हुई धांधली के खिलाफ छात्रों द्वारा बिहार बंद को लेकर शुक्रवार को रेलवे प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रही। इसको लेकर आरपीएफ इंस्पेक्टर ऋतु राज कश्यप व रेल थानाध्यक्ष पंकज कुमार दास मुस्तैद दिखे। आंदोलनकारी स्टेशन नहीं पहुंचे। जिसके कारण स्टेशन पर कोई असर नहीं दिखा। डिप्टी कमांडेंट मिथिलेश कुमार राय के निर्देश पर आरपीएफ इंस्पेक्टर व रेल थानाध्यक्ष अपने क्षेत्र के अन्तर्गत पड़ने वाले स्टेशनों पर अधिकारी व जवानों को तैनात किया गया था। इंस्पेक्टर श्री कश्यप के नेतृत्व में अधिकारियों व जवानों ने स्टेशन सहित रेलवे परिक्षेत्र के विभिन्न जगहों पर गश्त लगाते रहे। सुबह आठ बजे से ही आरपीएफ इंस्पेक्टर अलर्ट दिखे।इंस्पेक्टर ने अपने कार्य क्षेत्र के सभी रेल गुमटियों पर भी अधिकारियों के साथ जवानों को तैनात किया था। सभी स्टेशनों का तैनात लोगों से दूरभाष के माध्यम से आंदोलन का जायजा लेते रहे। हालांकि कहीं से कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली। आरपीएफ इंस्पेक्टर व रेल थानाध्यक्ष ने बताया कि छात्रों की बिहार बंद का विभिन्न राजनीतिक संगठनों ने समर्थन दिया था। जिसके कारण आंदोलनकारियों द्वारा स्टेशन पहुंचकर ट्रेन रोकने की संभावना जताई जा रही थी। लेकिन रेल प्रशासन की मुस्तैदी के कारण आंदोलनकारी स्टेशन नहीं पहुंचे। बावजूद स्टेशन आने-जाने वाले लोगो पर पैनी निगाहें रखी जा रही थी। जिसके कारण आन्दोलन स्टेशनों पर बेअसर रहा।