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अभिभावक झेल रहे प्रकाशक व स्कूलों की मनमानी

निजी स्कूल इन दिनों अभिभावकों से फीस के बाद किताबों पर भी कमीशन वसूल रहे हैं। किताबों की लिस्ट की जगह कुछ स्कूलों द्वारा स्वयं भी किताब बेचा जाता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 07:00 AM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 07:00 AM (IST)
अभिभावक झेल रहे प्रकाशक व स्कूलों की मनमानी
अभिभावक झेल रहे प्रकाशक व स्कूलों की मनमानी

मोतिहारी। निजी स्कूल इन दिनों अभिभावकों से फीस के बाद किताबों पर भी कमीशन वसूल रहे हैं। किताबों की लिस्ट की जगह कुछ स्कूलों द्वारा स्वयं भी किताब बेचा जाता है। वहीं कुछ की किताबें चु¨नदा दुकानों पर ही मिलती है। स्कूल संचालक फीस से लेकर किताब और ड्रेस पर कमीशन वसूल रहे हैं। किताब कॉपी और ड्रेस सभी में कमीशन के कारण अभिभावकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। शिक्षा का व्यापार शुरू होने के कारण मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में स्कूल और प्रकाशक मिलकर कमीशन का खेल खेल रहे हैं। अभिभावक इस खेल में छले जा रहे हैं। सबसे बड़ा खेल स्कूली बच्चों की किताबों पर हो रहा है। अधिकांश स्कूलों ने एनसीआरटी की किताबों से दूरी बना ली है। मोटे मुनाफे के लिए स्कूलों में निजी प्रकाशकों की किताबों से ही पढ़ाया जा रहा है। यह किताबें महंगी होने के साथ-साथ सभी दुकानदारों के पास उपलब्ध नहीं होती। हैं। जबकि, एनसीईआरटी की किताबें महज कुछ ही जगहों पर चलती है। शिक्षा के बाजार में निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें स्कूल खपा रहे हैं। केंद्र सरकार की तरफ से सीबीएसई स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें लागू है। सीबीएसई के स्कूलों ने अलग-अलग प्रकाशकों की पुस्तकों का अपने यहां मान्यता दी हुई है। सिर्फ 09 वीं, 10 वीं व 12 वीं में ही एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाई जाती हैं। अधिक लाभ पाने के लालच में स्कूलों ने कुछ प्रकाशकों से सांठगांठ कर अभिभावकों को चूना लगा रहे हैं। नर्सरी की किताबों के दाम भी सौ रुपये से लेकर दो सौ रुपये तक की है। वहीं एनसीईआरटी की किताबें इनकी तुलना में कहीं बेहतर और सस्ती है। किताबों के मूल्यों की बातें करे तो कक्षा एक से दो निजी प्रकाशकों की दो हजार से 3500 रुपये, कक्षा 3 से 5 तक 3500 रुपये से 4500 रुपये तक तथा कक्षा 6से 8 तक की 4500 से 5500 रुपये में मिल रही है। एक किताब भी बदला तो कोर्स नया प्रकाशक स्कूलों से साठगांठ कर हर वर्ष किताबों में कुछ न कुछ बदलाव करवा देते हैं। जो किताबें बदली जाती है। उसको अकेले नहीं बल्कि पूरे कोर्स के साथ बेचा जाता है। अभिभावकों को मजबूरन स्कूल संचालकों व प्रकाशकों की मनमानी को चुपचाप रहना पड़ता है। फीस में मामूली बढोतरी

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प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ऑफ टीचर्स वेलफेयर (पू. चं.)के जिला सचिव संतोष कुमार रौशन ने कहा कि

एनसीईआरटी की कई किताबें समय पर उपलब्ध नहीं हो पाती हैं। निजी प्रकाशकों की पुस्तकें मजबूरी में लगाई जाती है। मूलरूप से कम्प्यूटर व जीके की किताब बदली जाती है। इस कारण सिलेबस भी बदल जाता है। अधिकांश स्कूलों द्वारा बढ़ाई गई सुविधा को ले फीस में मामूली बढ़ोतरी की गई है। अधिकांश विद्यालयों में री-एडमिशन समाप्त हो चुका है, हां विद्यालय व्यवस्था व विकास को ले वार्षिक शुल्क के रूप में न्यूनतम राशि ली जाती है, जो री-एडमिशन के साथ पहले भी लिया जाता था।


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