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शहर में मच्छरों का प्रकोप, नहीं हो रहा है दवा का छिड़काव

रक्सौल। शहर में इनदिनों मच्छरों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। जगह-जगह पर लगे कूड़े का अंबार व बजबजाती नालियां मच्छरों का प्रजनन केंद्र बन गई हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 12:51 AM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 12:51 AM (IST)
शहर में मच्छरों का प्रकोप, नहीं हो रहा है दवा का छिड़काव
शहर में मच्छरों का प्रकोप, नहीं हो रहा है दवा का छिड़काव

रक्सौल। शहर में इनदिनों मच्छरों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। जगह-जगह पर लगे कूड़े का अंबार व बजबजाती नालियां मच्छरों का प्रजनन केंद्र बन गई हैं। नगर परिषद कार्यालय में मच्छरों को मारने के लिए उपलब्ध फॉगिग मशीन शोभा की वस्तु बनी हुई है। वहीं केमिकल का छिड़काव नहीं किया जाता है। कभी-कभार छिड़काव कर इसकी खानापूर्ति कर दी जाती है। मच्छरों के प्रकोप से मुक्ति के लिए नगर परिषद द्वारा कोई कदम नहीं उठाने को लेकर शहरवासियों में आक्रोश व्याप्त है। मच्छरों के काटने से डेंगू, जापानी इंसेफलाइटिस आदि बीमारियां होने की संभावना होती है। बीते दिनों शहर की समस्याओं को लेकर विभिन्न संगठन के लोगों ने नप के कार्यपालक पदाधिकारी के साथ बैठक की थी। जिसमें मच्छर, गंदगी आदि से हो रही परेशानियों से अधिकारी को अवगत कराया था। नहीं होता फॉगिग मशीन का उपयोग

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नगर परिषद क्षेत्र में 25 वार्ड हैं। नगर परिषद को दो-दो फॉगिग मशीन भी उपलब्ध है। बावजूद इसका उपयोग नहीं होता है। एक बार में लगभग 60 लीटर डीजल की खपत होने के कारण नगर परिषद इसका उपयोग चाहकर भी नहीं करती है। फॉगिग मशीन कार्यालय में शोभा की वस्तु बनी हुई है। उपयोग नहीं होने से मशीन जंग खा रही हैं। इसकी कोई सुधि लेने वाला नहीं है। 15 हजार है मासिक बजट

शहरवासियों को मच्छरों से निजात दिलाने के लिए नगर परिषद का लगभग 15 हजार का मासिक बजट है। मच्छरों से निजात पाने के लिए केमिकल का छिड़काव नहीं हो पाता है। साथ ही जगह-जगह पर लगे कूड़े के अंबार का ससमय निस्तारण नहीं किया जाता है। वहीं बजबजाती नालियों को कभी-कभार सफाई कर खानापुर्ति कर ली जाती है। परिवार का रहता अतिरिक्त आर्थिक बजट

मच्छरों से निपटने के लिए लोग अतिरिक्त आर्थिक बजट बनाते हैं। लोग मच्छर धूप जलाकर मच्छरों को भगाने का प्रयास करते हैं। लेकिन जहरीले डंक वाले मच्छरों पर धुएं का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है । गरीब तबके के परिवार इस अतिरिक्त आर्थिक बोझ से परेशान रहते है। इसको लेकर नगर परिषद के विरूद्ध आक्रोश देखा जाता है। फॉगिग मशीन का एक बार में उपयोग करने पर लगभग 60 लीटर ईंधन की खपत होती है, जो एक महंगा संसाधन है। हालांकि केमिकल का छिड़काव होता रहता है। कूड़े का निस्तारण व नालों की सफाई ससमय की जाती है। गौतम आनंद

कार्यपालक पदाधिकारी

नगर परिषद, रक्सौल


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