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रोकनी होगी पानी की तभी अगली पीढ़ी को नहीं होगी परेशानी

मोतिहारी। जल ही जीवन है। ऐसा कहने का तात्पर्य यह है कि सभी जीव जंतुओं के जीवित रहने के लिए इसका होना जरूरी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Sep 2019 11:04 PM (IST)Updated: Wed, 04 Sep 2019 06:34 AM (IST)
रोकनी होगी पानी की तभी अगली पीढ़ी को नहीं होगी परेशानी
रोकनी होगी पानी की तभी अगली पीढ़ी को नहीं होगी परेशानी

मोतिहारी। जल ही जीवन है। ऐसा कहने का तात्पर्य यह है कि सभी जीव जंतुओं के जीवित रहने के लिए इसका होना जरूरी है। पानी के बगैर इस पृथ्वी पर किसी भी प्राणी का जी पाना संभव नहीं है। नदियां, तालाब, वर्षा का पानी, भूमिगत पानी जैसे जल स्त्रोतों में कमी आ रही है जो कि अपने आप में चिता की बात है। हमारे रोजमर्रा के अनेकों कामों में पानी इस्तेमाल होता है, जैसे -पीने के लिए, खाना बनाने के लिए, कपड़े धोने के लिए, खेतों की सिचाई के लिए, नहाने के लिए। यह वह अमृत है जिसके बिना हम अपना जीवन काट नहीं सकते हैं, परंतु हम इसका मूल्य समझते ही नहीं है और इसका दुरुपयोग करते हैं। इसी प्रकार सब कुछ चलता रहा तो आगे आने वाले वर्षों में पानी की भारी समस्या खड़ी हो सकती है। हमारी आगे की पीढि़यों को जल नहीं मिलेगा और हम यह अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं कि परिस्थितियां कितनी खतरनाक हो सकती है। इस संबंध में जिले के प्रबुद्ध लोगों से बातचीत की गई। प्रस्तुत है उसके अंश :-

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जल संकट से निपटने को करना होगा प्रयास

जलवायु परिवर्तन के कारण हमारे समक्ष कई प्रकार के संकट खड़े हो गए हैं। इसमें जल संकट भी है। यह संकट अचानक नहीं आई है। इसके लिए जिम्मेदार भी हमलोग ही हैं। बढ़ रही आबादी के साथ इसके प्रति हम कभी भी गंभीर नहीं रहे। इस कारण यह समस्या घटने की बजाय बढ़ने लगी। पारंपरिक जलस्त्रोतों को पाटने के साथ पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से पर्यावरण पर संकट आ गया है। कुंआ व तालाब को पाटकर अतिक्रमण कर लिया गया। वर्षा के पानी का भी संचय नहीं हो पाता है। जरूरत है इसके प्रति लोगों को गंभीर प्रयास करने की। जल संरक्षण के साथ पेड़ों को जीवन देने की दिशा में सामूहिक प्रयास किया जाना चाहिए।

डॉ. अबु तालिब, प्राध्यापक, पीयूपी कॉलेज

पानी के दुरुपयोग को रोकने की जरूरत

जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। यह जानते हुए इसका दुरुपयोग किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। घरों में जिस प्रकार हमलोग पानी का दुरुपयोग करते हैं उससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि हम इसके प्रति कही से भी गंभीर नहीं हैं। जरूरत है इस स्थिति को गंभीरता के साथ समझने की। गिर रहे जलस्तर को नियंत्रित रखने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए। वर्षा जल को संचय करने के साथ पानी की बर्बादी पर रोक लगाने की दिशा में प्रयास किया चाहिए।

प्रतिदिन पानी का खर्च बढ़ रहा है। बढ़ रही आबादी के बीच पानी के सीमित भंडारण भविष्य के लिए खतरनाक साबित होगा। सरकारी सिस्टम भी सजग हुआ है। जलाशयों को संरक्षित करने के साथ पौधारोपण को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इस स्थिति में आम लोगों को भी जागरूक होना होगा। भूगर्भीय जल को बढ़ाने की दिशा में प्रयास करना होगा। अक्सार देखा जाता है कि गर्मी शुरू होते ही चापाकल सूखने लगते हैं। पानी का लेयर नीचे चला जाता है। इस स्थिति से निपटने के लिए सामूहिक स्तर पर प्रयास होना चाहिए। पानी की बर्बादी को रोकने के साथ वर्षा जल को संचय की दिशा में काम करना होगा।

गोपालजी मिश्रा, सचिव सर्विस स्पोट्स क्लब।


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