नामवर ने हिन्दी विमर्श की डाली थी नींव
मोतिहारी। एमएस कॉलेज के स्नातकोत्तर ¨हदी विभाग के तत्वावधान में गुरुवार को एक शोक संगोष्ठी का आयोजन
मोतिहारी। एमएस कॉलेज के स्नातकोत्तर ¨हदी विभाग के तत्वावधान में गुरुवार को एक शोक संगोष्ठी का आयोजन कर ¨हदी के प्रख्यात आलोचक प्रो. (डॉ.)नामवर ¨सह को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। ¨हदी विभागाध्यक्ष प्रो. अरुण कुमार ने कहा कि नामवर ¨सह ने ¨हदी आलोचना को एक नया अर्थ और नई दिशा प्रदान की। उनका आलोचना साहित्य हिमालय की ऊंचाई और सागर की गहराई का बोध कराता है। उनकी आलोचना पद्धति वाद-विवाद से संवाद तक जाने की आग्रहिणी थी। उन्होंने ¨हदी आलोचना को एक नया मुहावरा प्रदान किया। कविता के नए प्रतिमान, छायावाद तथा दूसरी परंपरा की खोज उनकी आलोचन शक्ति के मेनोफेस्टो की तरह हैं। वे एक कुशल संपादक भी थे। उनके निधन से ¨हदी साहित्य की अपूरणीय क्षति हुई है। ¨हदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.मृगेंद्र कुमार ने कहा कि जिस •ामाने में जेएनयू में अंग्रेजी विमर्श का बोलबाला था, उसी •ामाने में नामवर जी ने ¨हदी विमर्श की नींव डाली और फिर ¨हदी में विमर्श का एक नया सिलसिला चल पड़ा। उन्होंने ¨हदी को नूतन ¨चतन धारा से जोड़कर उसे समृद्धि प्रदान की। उनका जाना हिन्दी संसार को अनंत काल तक खलता रहेगा। इस अवसर पर अंग्रे•ाी विभागाध्यक्ष डॉ. इकबाल हुसैन ने नामवर ¨सह को एक ऐसे समीक्षक के रूप में चिन्हित किया जिन्होंने ¨हदी की ¨चतन परिधि को अक्षितिज विस्तार प्रदान किया था। अंत में दो मिनट का मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई। इस अवसर पर प्रो. भास्कर चौधरी, प्रो. प्रदीप कुमार, प्रो. एमएन ह़क, डॉ. रेवती रमण झा, अविनाश कुमार, ओमप्रकाश आदि मौजूद थे।