वंचित बच्चों को अक्षर ज्ञान संग नैतिक शिक्षा
मधुबन नक्सल प्रभावित इलाका है। लंबे समय तक यहां दहशत की खेती होती रही। अब फिजा बदली है तो यहां के युवा नई पीढ़ी में संस्कार और शिक्षा के बीज बो रहे हैं।
मोतिहारी । मधुबन नक्सल प्रभावित इलाका है। लंबे समय तक यहां दहशत की खेती होती रही। अब फिजा बदली है तो यहां के युवा नई पीढ़ी में संस्कार और शिक्षा के बीज बो रहे हैं। उद्देश्य यह कि बच्चे स्कूल से बाहर नहीं रहें। किसी भी स्थिति में उनके अंदर नकारात्मक विचार नहीं आएं। स्कूल से बाहर के बच्चों को शिक्षा देने के लिए मधुबन के गंगापुर निवासी चंदेश्वर प्रसाद और गीता देवी के पुत्र अनिल कुमार ने अभियान चलाया है। खुद एसआरपी कॉलेज में स्नातक प्रथम वर्ष के छात्र हैं। वे अपनी पढ़ाई के साथ-साथ गरीब बच्चों को नैतिक शिक्षा और किताबी ज्ञान दे रहे हैं। उनमें शिक्षा पाने की ललक पैदा कर रहे हैं। पहले किया चुनाव, फिर शुरू किया अभियान
अनिल के मन में यह विचार था कि क्षेत्र के वैसे बच्चों को सही शिक्षा दी जाए, जो स्कूल से बाहर हैं। इसके लिए इन्होंने मधुबन व इसके आस-पास के इलाके को चिह्नित किया। पता लगाने के बाद संबंधित बच्चों के अभिभावकों से बात की। फिर एक स्थान का चुनाव कर बच्चों को एकत्र किया। उनके बीच पठन-पाठन सामग्री दी। इसके साथ ऊं का उच्चारण कराने के साथ बच्चों को दे रहे अक्षर ज्ञान। फिलहाल अनिल मधुबन डीह और स्थानीय मस्जिद के पास गरीब बस्ती के 80 बच्चों को पढ़ा रहे हैं। ये न सिर्फ उन्हें अक्षर ज्ञान दे रहे हैं। बल्कि नैतिक शिक्षा से भी बच्चों का साक्षात्कार करा रहे हैं। ताकि उनके अंदर सही गलत समझने की क्षमता का विकास हो सके। यहां से मिली प्रेरणा अनिल बताते हैं कि शिक्षा ग्रहण करने के दौरान उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि शिक्षा का जीवन में क्या योगदान है। बच्चों को स्कूल से बाहर देखा तो पीड़ा हुई। इस बीच मोतिहारी स्थित ख्वाब फांउडेशन के निदेशक मुन्ना कुमार के कार्यों को देख प्रेरित हुआ और इस कार्य को करने का संकल्प लिया। बोले अभिभावक : गुरूजी ने पैदा की बच्चों में शिक्षा पाने की ललक
अनिल के पास शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों के अभिभावक इस अभियान से बेहद प्रभावित हैं। मधुबन निवासी मुकेश मल्ली, मोतीलाल मल्ली, कृष्णा मल्ली, रवींद्र महतो, बिक्कू महतो आदि बताते हैं- हमारी बेटियां गुरूजी से शिक्षा पा रही हैं। पहले उनमें पढ़ाई के प्रति रुचि नहीं थी। अब उनमें शिक्षा पाने की ललक है। यह अभियान काफी बेहतर है।
एक युवा की यह पहल सराहनीय है। इस तरह की पहल से समाज में शिक्षा का संचार तेजी से होगा। बच्चे विद्यालयों से जुड़ेंगे। मैं स्वयं के स्तर पर अनिल की हर संभव मदद करूंगा।
ई. राणा रणधीर ¨सह
सहकारिता मंत्री, बिहार सरकार