मधुबन उत्तरी पंचायत का नहीं हो सका विकास
मधुबन प्रखंड मुख्यालय का मधुबन उत्तरी पंचायत। इसकी धरती पर सरकार का प्रखंड, अंचल, स्वास्थ्य विभाग, जलापूर्ति समेत सभी सरकारी विभाग के कार्यालय है।
मोतिहारी। मधुबन प्रखंड मुख्यालय का मधुबन उत्तरी पंचायत। इसकी धरती पर सरकार का प्रखंड, अंचल, स्वास्थ्य विभाग, जलापूर्ति समेत सभी सरकारी विभाग के कार्यालय है। यू कहें कि प्रखंड में विकास का ताना-बाना यहीं से बुना जाता है। इसके बावजूद पंचायत का समुचित विकास नहीं हो सका है। इतना कुछ रहने के बावजूद कई अनुसूचित टोलों में विशुनपुर तारा के मूसहर टोला, केशपकड़ी और मधुबन डीह गांव में कई महीने से बिजली गायब है। कई गावों में अभी तक बिजली नहीं पहुंचाई जा सकी है। वार्ड सदस्य नूरेशा खातून ने कहा कि बिजली का नहीं पहुंचना विकास के नाम पर धब्बा है। वर्तमान में सभी सरकारी योजना का केवल प्रचार-प्रचार हो रहा है, पर उसके अनुरूप कार्य नहीं हो पा रहा है। पंचायत में सबसे बडी समस्या पानी निकासी की है। नाला के अभाव में हमेशा जलजमाव के कारण बाजार की स्थिति नारकीय बनी रहती है। ग्रामीण बताते हैं कि मधुबन उत्तरी पंचायत को कागज पर वर्ष 2011 में नगर पंचायत का दर्जा मिला परंतु उच्च न्यायालय द्वारा इसे निरस्त कर दिया गया। तब से पंचायतवासी को न तो केरोसिन आवंटित किया जाता है और न ही आवास योजना का लाभ किसी गरीब को नहीं मिल रहा है। दैनिक जागरण के तत्वावधान में बुधवार को पंचायत सरकार भवन में गांव की पाती कार्यक्रम के तहत लगाई गई। ग्रामीण चौपाल में जनता ने इन सारी समस्याओं को प्रमुखता से उठाया। कहा कि शासन प्रशासन की उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण पंचायत का सर्वागीण विकास नहीं हो पाया है। डाकबंगला चौक से प्रखंड मुख्यालय जाने वाली सड़क जर्जर हो चुका है, मगर इसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं है। मधुबन से गंगापुर को जाने वाली पगडंडी सड़क को कालीकरण नहीं किया जा सका। बरसात के दिनों में इलाके के आधा दर्जन गांव के लोगों को अधिक दूरी तय कर मधुबन आना जाना पड़ता है। जिस पंचायत सरकार भवन में चौपाल लगी थी उस भवन का निर्माण वर्ष 2017 में कराया गया था। इसके धंसे फर्श और टूटे दिवाल इसके कार्यों की गुणवत्ता की कहानी बयां कर रहे हैं।