शिक्षा के साथ सेहत पर भी ध्यान देना जरूरी
शहर के सेन्ट्रल स्कूल परिसर में बुधवार को उप विकास आयुक्त अखिलेश कुमार ¨सह ने किशोर-किशोरियों के लिए साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड अनुपूरक कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया।
मोतिहारी। शहर के सेन्ट्रल स्कूल परिसर में बुधवार को उप विकास आयुक्त अखिलेश कुमार ¨सह ने किशोर-किशोरियों के लिए साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड अनुपूरक कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया। मौके पर सिविल सर्जन डॉ. बीके ¨सह, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शकुंतला ¨सह एवं जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. रविशंकर भी उपस्थित थे। अपने संबोधन में डीडीसी ने कहा कि शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना जरूरी है। बच्चे स्वस्थ रहेंगे तभी स्वस्थ समाज बनेगा। ज्यादातर किशोर-किशोरियों में खून की कमी पाई जा रही है। यह ¨चताजनक स्थिति है। इससे निपटने के लिए सरकार ने यह अभियान चलाया है। स्कूलों में पढ़ने वाले किशोर-किशोरियों के साथ-साथ स्कूल से बाहर रहने वालों को भी यह दवा दी जानी है। इस अभियान को सफल बनाने के लिए सभी स्तरों पर प्रयास की दरकार है। वैसे इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी मुख्य रूप से स्वास्थ्य, शिक्षा एवं समाज कल्याण विभाग को दी गई है। इस अवसर पर डीडीसी ने एक बच्ची को दवा भी खिलाई। मौके पर आइसीडीएस की डीपीओ प्रतिभा कुमारी गिरि, जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अमित अचल, नंदन झा, यूनिसेफ के डॉ. धर्मेंद्र कुमार, सेंट्रल स्कूल के प्राचार्य राजीव कुमार तिवारी सहित शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग के अन्य प्रतिनिधि मौजूद थे। तीन विभाग मिलकर करेंगे काम
बिहार में 10 से 19 वर्ष के किशोर-किशोरियों के स्वास्थ्य एवं तंदुरूस्ती के लिए सरकार के तीन विभाग मिलकर काम करेंगे। स्वास्थ्य, शिक्षा एवं समाज कल्याण विभाग को यह जिम्मेदारी संयुक्त तौर पर दी गई है। बता दें कि इस आयु वर्ग के बच्चों में खून की कमी (एनीमिया) एक बड़ी समस्या बनकर सामने आ रही है। एनीमिया एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है जो स्वास्थ्य एवं तंदुरूस्ती के साथ-साथ पढ़ने एवं काम करने की क्षमता पर विपरीत प्रभाव डालती है। यह विश्व में सबसे अधिक पाई जाने वाली पोषण से संबंधित समस्याओं में से एक है। भारत की जनगणना अंतर्गत नैदानिक मानव शास्त्रीय और जैव रासायनिक-2014 के अनुसार बिहार में 10 से 17 वर्ष आयु वर्ग में 85.3 प्रतिशत किशोर-किशोरियां एनीमिया से ग्रसित हैं। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर एक विशेष कार्यक्रम तैयार किया है, जिसको लेकर बिहार सरकार ने इस अभियान का आगाज किया है। इसके अंतर्गत 10 से 19 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को आयरन फॉलिक एसिड (आइएफए) अनुपूरण कार्यक्रम के तहत इसकी दवा दी जाएगी। एनीमिया पर अंकुश लगाने के लिए किशोरावस्था उपयुक्त समय होता है। यह अवस्था वृद्धि एवं विकास दोनों के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस अवस्था में पोषण शिक्षा के साथ-साथ आइएफए का अनुपूरण कराने से किशोर-किशोरियों को एनीमिया के दुष्प्रभाव से बचाया जा सकता है।