सरकार के सख्त आदेश के बाद भी खेतों में पुआल जला रहे किसान
मोतिहारी । अनुमंडल क्षेत्र में पुआल नहीं जलाने को लेकर सरकार के आदेश की धज्जियां उड़ रही हैं।
मोतिहारी । अनुमंडल क्षेत्र में पुआल नहीं जलाने को लेकर सरकार के आदेश की धज्जियां उड़ रही हैं। स्थानीय प्रशासन इसे अनजान बना हुआ है। सरकार द्वारा पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर सख्त निर्देश दिए गए है, लेकिन उनका अनुपालन नहीं होने से किसान जब चाहे जहां पुआल जला रहे है। मंगलवार को अनुमंडल क्षेत्र के करीब आधा दर्जन से अधिक जगहों पर खेतों में जले पुआल का अवशेष देखने को मिला, लेकिन कृषि विभाग द्वारा नियुक्त कृषि सलाहकार एवं कृषि समन्वयक इसको गंभीरता से नहीं ले रहे है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि खेतों में पुआल या फसल अवशेष जलाने से उर्वराशक्ति का नाश होता है। मित्र कीट जो फसल को लाभ पहुंचाते है,पुआल जलाने से नष्ट हो जाते है। वहीं पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सरकार कई महत्वाकांक्षी योजनाएं चला रही हैं। इसके तहत पर्यावरण को शुद्ध रखने की कवायद की जा रही है। इसके लिए सरकार राशि भी खर्च कर रही है, लेकिन स्थानीय स्तर पर इसका सदुपयोग नहीं हो रहा है। इनदिनों धान की कटनी चल रही है। लोग धान की निकौनी कर अनाज घर ले जा रहे है, लेकिन पुआल को जब जहां चाह रहे, वहीं जला दे रहे है। इससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। इसे रोकने के लिए विभाग द्वारा कृषि समन्वयकों को वैसे किसानों को चिहित कर उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। किसानों में दिख रहा जागरूकता का अभाव
प्रखंड क्षेत्र के कृषि कर्मियों को गांव-गांव में चौपाल के माध्यम से खेतों में पुआल जलाने से होने वाले नुकसान के संबंध में जानकारी देनी है। किसानों को यह बताना है कि मिट्टी के नीचे बहुत सारे मित्र कीट जैसे केचुआ आदि होते है। यह उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं। पुआल जलाने से ये नष्ट हो जाते है। पुआल जलाने से जहरीली गैस आदि निकलती है। इससे वायुमंडल प्रदूषित होता है। इसके लिए सरकार ने कड़े निर्देश जारी किए है।