शिक्षा और विकास के क्षेत्र में हर दिल मागे मोर..
यहा नेपाल व भारतीय संस्कृति की झलक मिलती है। लोग उम्मीद लिए आते हैं।
मोतिहारी। यहा नेपाल व भारतीय संस्कृति की झलक मिलती है। लोग उम्मीद लिए आते हैं। जब वह पूरी नहीं होती तो जेहन में दर्द छिपाए निकल जाते हैं। यह है पश्चिम चंपारण लोकसभा सीट में पड़ने वाला रक्सौल जंक्शन। इस स्टेशन को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर होने का गौरव प्राप्त है। रक्सौल से मोतिहारी तक डेमू ट्रेन से सफर के दौरान हर वर्ग के वोटरों की जुबान पर सिर्फ एक ही मुद्दा, विकास। जाति नहीं, शिक्षा की बात। रक्सौल से हमारे संवाददाता विजय कुमार गिरि को ऐसा ही माहौल मिला।
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चीजें बदलीं, पर ट्रेनों की कमी की कशक : जंक्शन के पास हाल के महीनों में कई काम हुए हैं। चीजें बदली हैं। स्टेशन के सामने की सड़क सालों बाद बनी है। लेकिन, इस स्टेशन से ट्रेनों की संख्या बेहद कम है। इस कारण विकास को उस हिसाब से गति नहीं मिल सकी है। जिस दिन कोई ट्रेन रद हो गई या फिर देरी से आई तो यहां सड़क किनारे ठेला या खोमचा लगाने वाले गरीबों की रोजी-रोटी पर असर। चाय की दुकान पर यात्रियों को चाय पिलाते हुए दुकानदार वीरेंद्र कह रहे थे, भाई बचपन में पढ़े-लिखे नहीं। हमारे पिता भी यहीं चाय बेचते थे। अब मैं। हर पाच साल पर सरकार बदलती है, लेकिन समस्याएं मुंह बाए खड़ी रहती हैं। अभी स्टेशन पर चाय बेचना अपराध है। बाहर चलंत दुकान लगा ली है। ग्राहक आते हैं तो दुकान चल जाती है। ग्राहक भी तभी आएंगे, जब ट्रेनों की संख्या ज्यादा होगी। यहा तो मात्र छह जोड़ी ट्रेनें चलती हैं। उनमें से कभी-कभी कोई रद हो जाती है। ऐसे में उस दिन उधार से चूल्हा जलता है। इस बार वोट विकास के नाम पर ही होगा।
रविवार को भी इस स्टेशन से मोतिहारी के लिए उम्मीदों वाली ट्रेन दिन के 3:40 बजे खुली। ट्रेन में सवार हुए तो यात्रियों की टोली बात कर रही थी। सबकी अपनी-अपनी राय। ट्रेन रामगढ़वा स्टेशन पर शाम 4:10 बजे पहुंची। यहा भी लोग इसमें सवार हुए। फिर अगला स्टेशन सुगौली आया। यहा आधी ट्रेन खाली हो गई। इस यात्रा में खास बात यह रही कि हर दिल विकास और शैक्षणिक ढाचे की मजबूती चाहता है।
गाव में बन रहा माहौल : मोतिहारी के नसीम आलम कहते हैं, काठमाडू से चुनाव में शामिल होने घर जा रहा हूं। वोट हमारा अधिकार है। इसे नहीं छोड़ सकता। समाज को साथ लेकर चलने वाले विकास के हिमायती प्रत्याशी या दल को वोट देंगे।
रामगढ़वा प्रखंड के धरमिनिया निवासी विश्वनाथ पासवान रक्सौल के डंकन में अपने बच्चे का इलाज कराने आए थे। यहा बीमारी ठीक नहीं होने पर मोतिहारी जा रहे थे। कहते हैं, नागरिक सुरक्षा इस चुनाव में अहम है। गरीबी का ध्यान रखने वाली सरकार चाहिए। इसके लिए हमारे गाव में माहौल बन रहा है।
किशोरी ठाकुर रोज अपने गाव धरमिनिया से मजदूरी करने आते हैं। चुनाव क्या चीज है, इसे समझना इनके लिए थोड़ा कठिन था। लेकिन, इतनी समझ थी कि विकास होना चाहिए। सरकार ऐसी बननी चाहिए जो गरीबों की हिमायती हो।
बंजरिया प्रखंड के मोखलिसपुर के हरेंद्र राय की सुनिए, सरकार ऐसी चाहिए जो देश व इसके गावों को सुरक्षित रखने की दिशा में काम करे। कहते हैं, जीवन के 65 साल गुजार लिए। हर बार यही सोचकर वोट देता हूं कि सब ठीक होगा। लेकिन, अब राय बदल गई है। जिसे चुना, वहीं गलत निकला। इस बार सोचकर वोट करेंगे।
शिक्षक विजय कुमार श्रीवास्तव रोज बच्चों को शिक्षा देने के लिए रक्सौल से मोतिहारी आते हैं। रक्सौल के मूल निवासी हैं। लेकिन, बच्चों को मोतिहारी में रखकर पढ़ा रहे हैं। कहते हैं, शिक्षा बेहद जरूरी है। यदि इस दिशा में पहल हो तो रक्सौल काफी आगे बढ़ जाए। मेरे हिसाब से प्रत्याशी को 10 साल पर बदलना चाहिए। इससे विकास को गति मिलेगी। स्वच्छ छवि वाला उम्मीदवार होना चाहिए।
युवा को चाहिए शैक्षणिक विकास : डेमू सवारी गाड़ी दिन के 3:20 बजे रक्सौल आई। फिर यहा से 3:40 बजे मोतिहारी के लिए खुली। कुल मिलाकर दो घटे 20 मिनट यह ट्रेन लेट हो गई। अब आप स्वयं देख लें, हमारा भविष्य क्या होगा? इतना कहने के साथ श्रीरामपुर रक्सौल निवासी संतोष कुमार बिदक गए। कहा, यहा से मोतिहारी उच्च शिक्षा के लिए जाना मजबूरी है। इसके लिए जब भी ट्रेन पकड़ने आता हूं तो लेट रहती है। एक तो यहा ट्रेन कम है। जो है भी, वह इतनी देर से चलती है कि छात्रों का समय खराब कर देती है। पहली बार लोकसभा चुनाव में वोट करेंगे। उसे ही वोट देंगे जो विकास का हिमायती हो। छात्र-छात्राओं की चिंता करे।
रामगढ़वा की सोनम कुमारी कहती हैं, रक्सौल में एक अदद ऐसा कॉलेज नहीं, जहा बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सकें। ऐसे में मोतिहारी जाना होता है। हम चुनाव में क्या करेंगे, यह नहीं बताएंगे। लेकिन, इतना जान लीजिए वोट विकास के नाम का ही होगा।
रक्सौल की कीर्ति शर्मा बताती हैं, कल परीक्षा है। 60 किलोमीटर दूर मोतिहारी। वहां माता-पिता साथ जा रहे। कॉलेज तो छोड़िए, यहा एक अदद परीक्षा सेंटर भी रहता तो अतिरिक्त व्यय और समय बचता। सरकार को चाहिए कि वह शैक्षणिक ढाचे का मजबूती से विकास करे।