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शिक्षा बना व्यवसाय, खतरे में नौनिहाल और युवा

गुजरात के सूरत में एक कोचिग संस्थान में अचानक लगी आग में बीस बचों की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 May 2019 10:55 PM (IST)Updated: Mon, 27 May 2019 06:26 AM (IST)
शिक्षा बना व्यवसाय, खतरे में नौनिहाल और युवा
शिक्षा बना व्यवसाय, खतरे में नौनिहाल और युवा

मोतिहारी। गुजरात के सूरत में एक कोचिग संस्थान में अचानक लगी आग में बीस बच्चों की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया है। अब इस बात चिता हर अभिभावक को सताने लगी है, जिनके बच्चे कोचिग में पढ़ने के लिए जाते हैं। मोतिहारी शहर में करीब सौ से अधिक कोचिग संस्थान संचालित हो रहे हैं। लेकिन, आम आदमी को असहज करनेवाली बात यह है कि उनमें से किसी का भी निबंधन नहीं है। शहर के चांदमारी मोहल्ले में सर्वाधिक कोचिग संस्थान हैं। लेकिन, यहां संचालित कोचिग तक जाने के लिए जो सड़कें हैं वह कहीं-कहीं ही दस फीट से ज्यादा चौड़ी है। कई इलाकों में यह इससे कम है। वैसे भवन जो बहुमंजिला हैं, वहां तक पहुंचने के लिए बीस फीट सड़क चाहिए। लेकिन, ऐसी सड़कें ढूंढने से नहीं मिलेंगी। लेकिन, कोचिग संस्थान यूं हीं संचालित हो रहे हैं। कई जगहों पर ये दूसरी और तीसरी मंजिल पर भी संचालित हो रहे हैं। अर्थात जमीन से करीब तीस से पैंतीस फीट उपर। स्थानीय अग्निशमन दस्ते के पास यूं तो जो सीढ़ी करीब 32 फीट लंबी है। लेकिन, यह सीढ़ी बड़े वाहन पर है। ऐसे में कम से कम बीस फीट चौड़ी सड़क का होना जरूरी है। जानकार बताते हैं कि हालांकि अबतक मोतिहारी में ऐसी घटना नहीं हुई है। लेकिन, विधि को कौन जानता भगवान ना करे यदि कहीं कोई दुर्घटना हो गई तो नौनिहाल और युवाओं की जान पर आफत आ जाएगी। ऐसे में जरूरी है कि प्रशासनिक स्तर पर अभियान चलाकर कोचिग संस्थानों में फायर फाइटिग सिस्टम को ठीक किया जाए। मैट्रिक, इंटर व स्नातक तक की होती पढ़ाई शिक्षा से जुड़े जानकार बताते हैं कि शहर में नवम, दशम, इंटर और स्नातक स्तर के कोचिग संस्थान संचालित होते हैं। शहर के चांदमारी, बेलबनवा, श्रीकृष्णनगर, छतौनी, भवानीपुर जिरात, रघुनाथपुर, मठिया, अगरवा समेत कई मोहल्लों में कोचिग संचालित हो रहे हैं। लेकिन, किसी भी संस्थान नगर परिषद या शिक्षा विभाग से संचालन की अनुमति नहीं ली है। कहता है नगर परिषद कानून कोचिग संस्थान संचालित करने के लिए सबसे पहले संचालक को जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय में आवेदन देना होता है। आवेदन मिलने के बाद डीईओ नगर परिषद के कायर्पालक पदाधिकारी को पत्र देंगे। नगर परिषद के स्तर पर संबंधित कोचिग के लिए चयनित स्थल का नक्शा व अन्य चीजों का अवलोकन कराया जाएगा। इसके बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी को रिपोर्ट दी जाएगी। जिसमें जो कोचिग संस्थान नियम के अनुकूल पाए जाएंगे, उनके लिए ही पत्र जारी होगा। फिर डीईओ उन्हें कोचिग संचालक को संचालन की अनुमति देंगे। अग्निशमन दस्ते के लिए परेशानी की वजह सड़कें शहरी इलाके में संचालित कोचिग संस्थान में यदि कोई अगलगी की घटना होती है तो सबसे ज्यादा परेशानी यहां की सड़कों से होगी। कारण यह कि शहर के जिन इलाकों में कोचिग संस्थान संचालित हो रहे हैं, उन इलाकों में बड़े वाहन का प्रवेश तो संभव हीं नही लगता। छोटे वाहन को ले जाने भी काफी परेशानी होती है। जिला अग्निशामक पदाधिकारी प्रेमचंद राय बताते हैं कि किसी भी आपात स्थिति से निबटने के लिए संबंधित घरों तक जाने की खातिर कम से कम दस फीट चौड़ी सड़क व वाहन घुमाने का स्थान जरूरी है। बड़े वाहन को ले जाने बीस फीट चौड़ी सड़क का होना अनिवार्य है। ऐसे में जरूरी है कि ऐसे संस्थान के संचालक पोर्टेबल फायर सिस्टम अपने यहां रखें।

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