Move to Jagran APP

40 वर्षो में भी नहर में नहीं पहुंचा पानी, मुआवजा राशि से भी लोग वंचित

आजादी के बाद सिचाई को लेकर बड़ी-बड़ी बातें होती रही। किसानों की खेतों को पानी चाहिए। इसके लिए योजनाएं भी बनीं। इसके बाद भी किसानों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिला।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Apr 2019 01:05 AM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2019 06:33 AM (IST)
40 वर्षो में भी नहर में नहीं पहुंचा पानी, मुआवजा राशि से भी लोग वंचित
40 वर्षो में भी नहर में नहीं पहुंचा पानी, मुआवजा राशि से भी लोग वंचित

मोतिहारी । आजादी के बाद सिचाई को लेकर बड़ी-बड़ी बातें होती रही। किसानों की खेतों को पानी चाहिए। इसके लिए योजनाएं भी बनीं। इसके बाद भी किसानों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिला। चालीस वर्ष नहर के लिए किसानों की भूमि ली गई, पर न तो नहर में पानी आया और न किसानों को मुआवजा की राशि मिली। नहर की खुदाई से लोगों को उम्मीद जगी थी कि अब उनके खेतों तक पानी आसानी से पहुंचेगा, लेकिन इतने दिनों के बाद भी इसका लाभ नहीं मिलने से उम्मीद टूट चुकी है। संग्रामपुर से रपट 1974-75 में हुई थी नहर की खुदाई किसानों को खेती के लिए समय से पानी मिले इसके लिए सरकारी स्तर पर नहर की खुदाई परसौना, श्यामपुर, बरवा, नौतन तक की गई। फिर बरवा से सिकंदरपुर, चांदपुर से उतरी भवानीपुर जिसका विभागीय लोगों ने इसका नाम रखा 15 आरडी। इसकी खुदाई 1974-75 में हुई थी। बरवा से भवानीपुर के किसानों के लगभग कई एकड़ भूमि अधिग्रहण किया गया। लेकिन आजतक किसानों को इसका भुगतान भी नहीं किया गया है। तब से अब तक किसान अपनी जमीन के मुआवजा राशि के लिए विभागीय अधिकारियों के कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। किसान भैरवनाथ सिंह, महेश्वर सिंह, कमलेश्वरी सिंह, बृजनंदन सिंह, रामकृत साह, बीरेंद्र प्रसाद जायसवाल, की माने तो 13 आरडी से 15 आरडी तक इन सभी की भूमि में नहर की खुदाई हुई। भवानीपुर व बरवा के बीच सिकन्दरपुर के समीप साइफन का निर्माण हुआ जो 1976-77 की बाढ़ में टूट गया और नहर से भवानीपुर की तरफ पानी आना ही बंद हो गया। इतने दिनों बाद भी नहर निर्माण के लिए अधिगृहित भूमि का मुआवजा भी नहीं दिया गया। नहर के बांध पर बनी सड़क भी जर्जर किसानों की फसलों को लाने के लिए नहर के बांध के बगल में सड़क था वह भी जर्जर हो गया है। जब सड़क निर्माण की बात सामने आई तो स्थानीय मुखिया निवेदिता कुमारी ने बताया कि गंडक से जुड़ा विभाग है। एनओसी के लिए प्रयास किया गया, लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण सफलता नहीं मिली।

loksabha election banner

यहां ट्यूबवेल भी है बंद विगत तीस वर्षो से किसानों की सिचाई के लिए भवानीपुर के ठिकहां में स्टेट ट्यूबवेल का निर्माण हुआ। शुरुआती दौर में इससे एक हजार एकड़ भूमि को पानी मिलता था। धीरे-धीरे इसकी भी स्थिति भी जर्जर हो गई। सिर्फ यहीं नहीं प्रखंड में किसी ना किसी समस्या के चलते लगभग दो दर्जन स्टेट ट्यूबवेल बंद है। समय-समय पर सरकार ने उसका रंगरोगण जरूर कराया गया। किसान सचिदानंद दुबे, अनिरुद दुबे, रामेश्वर दुबे, शिव प्रसाद दास, यदुबारी, रामाधार दास, विनोद बारी, मनु कुमार सिंह समेत कई किसानों का कहना था कि महज एक ठिकहा ट्यूवेल से चरपीपरा, चौधुर टोला, सिसवनिया टोला, चमिता समेत कई गांवों के किसानों को सिचाई के लिए पानी मिल सकता है।मुखिया निवेदिता कुमारी का कहना है कि सरकार ने पंचायत को सिचाई व्यवस्था के तहत ट्यूबवेल सौंपा है, लेकिन नाला का निर्माण, बिजली बिल, ऑपरेटर व पटवन की वसूली के लिए कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी नहीं किया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.