भगवान कृष्ण की उंगली पर द्रौपदी ने बांधा था साड़ी का पल्लू
मोतिहारी । रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा की चर्चा महाभारत से आती है। जहां भगवान कृष्ण को
मोतिहारी । रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा की चर्चा महाभारत से आती है। जहां भगवान कृष्ण को द्रौपदी द्वारा राखी बांधने की कहानी है। भगवान कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से चेदि नरेश शिशुपाल का वध कर दिया था। इस कारण उनकी अंगुली कट गई और उससे खून बहने लगा। यह देखकर विचलित हुई रानी द्रौपदी ने अपनी साड़ी का किनारा फाड़कर कृष्ण की कटी अंगुली पर बांध दी। कृष्ण ने इस पर द्रौपदी से वादा किया कि वे भी मुश्किल वक्त में द्रौपदी के काम आएंगे। पौराणिक विद्वान, भगवान कृष्ण और द्रौपदी के बीच घटित इसी प्रसंग से रक्षा बंधन के त्योहार की शुरुआत माना जाता है। कहा जाता है कि कुरुसभा में जब द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था, उस समय कृष्ण ने अपना वचन निभाया और द्रौपदी की लाज बचाई।
प्रो. बबीता श्रीवास्तव, अध्यक्ष महिला सेवा सशक्तिकरण मंच
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रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के स्नेह के रूप में मनाया जाता है। बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधी है और उनकी लंबी आयु, सुख समृद्धि की कामना करती है। वही भाई बहनों की सुरक्षा का संकल्प लेते है। लॉकडाउन के कारण इस बार भाई राखी पर नहीं पहुंच रहा है। हालाकि भारी मन से मैंने चिट्ठी के साथ राखी भेज दी है। वही कोरोना संक्रमण को देखते हुए देश की सीमा की सुरक्षा में तैनात जवानों की सुरक्षा की कामना करती हुं। इस बार की राखी देश के वीर सैनिकों को समर्पित करती हुं।
प्रो. शर्मिला पांडेय, सदस्य महिला सेवा सशक्तिकरण मंच