मोतिहारी में अविश्वास प्रस्ताव पर टस से मस नहीं हो रहे विक्षुब्ध पार्षद
नगर निगम की मुख्य पार्षद अंजु देवी पर लगाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लेकर विक्षुब्ध पार्षद टस से मस नहीं हो रहे हैं। इसके साथ ही राजनीतिक रंगमंच पर कई प्रकार के ²श्य-परि²श्य उभर रहे हैं। विक्षुब्ध गुट अपने साथ 30 से अधिक पार्षदों के होने का दावा कर रहा है।
मोतिहारी । नगर निगम की मुख्य पार्षद अंजु देवी पर लगाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लेकर विक्षुब्ध पार्षद टस से मस नहीं हो रहे हैं। इसके साथ ही राजनीतिक रंगमंच पर कई प्रकार के ²श्य-परि²श्य उभर रहे हैं। विक्षुब्ध गुट अपने साथ 30 से अधिक पार्षदों के होने का दावा कर रहा है। वैसे भी दिए गए अविश्वास प्रस्ताव के आवेदन पर 31 पार्षदों के हस्ताक्षर हैं। विक्षुब्ध गुट की ओर से बैठकों का दौर जारी है। इन बैठकों में पार्षदों की अच्छी खासी संख्या उपस्थित हो रही है, जिससे वे उत्साहित नजर आ रहे हैं। जबकि मुख्य पार्षद गुट की बैठकें गुप्त हो रही हैं और पार्षदों की उपस्थिति स्पष्ट नहीं हो रही हैं। विक्षुब्ध गुट का कहना है कि अगर उनके पास संख्या बल है तो फ्लोर टेस्ट से घबरा क्यों रही हैं। विक्षुब्ध गुट का कहना है कि दरअसल, मुख्य पार्षद और उनका गुट बेचैनी में पार्षदों को गुमराह करने के लिए तरह तरह के प्रपंच के माध्यम से अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं। उप मुख्य पार्षद रविभूषण श्रीवास्तव के आवास पर हुई बैठक में विक्षुब्ध गुट के पार्षद अपनी सफलता को लेकर निश्चित दिखे। बैठक में दो दर्जन से अधिक पार्षदों या उनके स्वजनों की उपस्थिति रही। जबकि, आधा दर्जन पार्षद व्यक्तिगत परेशानियों के कारण नैतिक समर्थन का भरोसा दिलाया। बैठक में उपस्थिति पार्षदों व उनके स्वजनों ने समूह के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए नई व्यवस्था की स्थापना का संकल्प लिया। विक्षुब्ध गुट का कहना है कि चार साल हम ने अक्षम मुख्य पार्षद को ढोया है। अगर मोतिहारी नगर के प्रति वे ईमानदार हैं और इसका विकास चाहते हैं तो पार्षदों के समूह की जायज मांग के अनुरूप वे इस्तीफा दें और बनने वाली दूसरी नगर सरकार को सहयोग करें ताकि कार्यकाल के अंत समय में चार वर्ष के घाटे की भरपाई की जा सके।
इनसेट
नियमावली के विरुद्ध लगा अविश्वास को खारीज करती हूं : अंजु
फोटो :- 23 एमटीएच- 12
मोतिहारी, संस : नगर निगम के 31 पार्षदों द्वारा अविश्वास लगाने के बाद पहली बार मुख्य पार्षद अंजु देवी शुक्रवार को प्रेस के सामने आई। उन्होंने अपने कार्यालय कक्ष में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि उनपर लाया गया अविश्वास लगाया नियमावली के विरुद्ध है। इसलिए सीधे तौर पर इसे खारिज करती हूं। कहा कि नगर परिषद को बिहार सरकार द्वारा नगर निगम में उत्क्रमित किया जा चुका है। लेकिन कार्यपालक अधिकारी को राज्य सरकार ने नगर आयुक्त के रुप में आज तक अधिसूचित नहीं किया है। बावजूद इसके कार्यपालक अधिकारी को नगर आयुक्त कहना तथा पत्राचार में अपने को नगर आयुक्त बताना नियमानुकूल नहीं है। कहा कि जहां तक मेरे उपर लगे अविश्वास पर चर्चा के लिए विशेष बैठक की तिथि निर्धारित करने का प्रश्न है उसके तहत बिहार नगरपालिका अविश्वास प्रस्ताव नियमावली 2010 के नियम 2 (1) के अनुसार पार्षदों को अपनी अधियाचन सीधे मुझे देनी थी। परंतु उनके द्वारा अधियाचना कार्यपालक अधिकारी को प्राप्त कराया गया। जबकि वे निगम कार्यालय स्थित अपने कक्ष में मौजूद थी। कहा कि कार्यपालक अधिकारी द्वारा उन्हें अधियाचना से संबंधित संचिका 19 जुलाई को प्राप्त कराया गया। उक्त संचिका में अधियाचना के साथ-साथ पार्षदों का एक पत्र भी उपलब्ध है जिसपर किसी पार्षद का ना तो हस्ताक्षर है और ना तो उसपर कोई तिथि अंकित है। कहा कि बिहार नगर पालिका अधिनियम 07 की धारा 12 (8) के प्रावधानों के अनुसार नगर परिषद को नगर निगम में उत्क्रमित होने की तिथि से नगर परिषद का कार्यकाल मात्र छह महीना ही बच जाता है। इसके अंदर नगर निगम के गठन की प्रक्रिया पूर्ण होनी है। वंहीं बिहार नगरपालिका अधिनियम 07 की धारा 25 (4) के तीसरे वर्णित प्रावधान के अनुसार नगरपालिका की अवधि मात्र छह महीना शेष हो तो मुख्य पार्षद के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है। कहा कि नियम विरुद्ध लाया गया अविश्वास के खिलाफ वे उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर चुकी हूं। साथ ही उससे संबंधित संचिका निगम कार्यालय को हस्तगत करा दिया है।